
Go Shimla 🎆🌄
February 7, 2025 at 02:16 PM
घर में घुसते ही बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला, "पापा! माँ की अंगुली कट गई आज। बहुत खून निकला था।"
सुनकर पति का दिल धक से रह गया। रसोई की ओर देखा, तो पत्नी रोटियाँ सेंकने में लगी हुई थी। कपड़े खूंटी पर टाँगकर, उसने जल्दी से हाथ-मुँह धोया और पूछा, "क्या हुआ हाथ को?"
पत्नी मुस्कुराते हुए बोली, "नया चाकू था, सब्जी काटते वक्त अंगूठा कट गया।"
उसकी मुस्कान में छुपा दर्द पति से सहा नहीं गया। झुंझलाते हुए बोला, "और फिर भी तुम लगी हुई हो? क्या मैं खाना नहीं बना सकता था?"
पत्नी ने हल्की सी हँसी के साथ कहा, "तुम भी तो सारा दिन थककर आते हो, दूसरों की झूठन साफ करते हुए, मालिक की बिना बात की डाँट सुनते हुए। इस पर अगर मैं भी तुम्हें काम करवाऊँ, तो कैसे चलेगा? मुझे अच्छा नहीं लगता।"
पति गुस्से से बोला, "कमाल करती हो तुम! ये गाँव नहीं है, यहाँ तो औरतें पैर तक दबवाती हैं, और तुम हो कि मुझे रसोई में आने भी नहीं देती!"
पत्नी ने प्यार भरी नजरों से उसे देखा और कहा, "बैठो यहाँ। मैं तुम्हें गरम रोटी परोसती हूँ।"
जैसे ही उसने सब्जी परोसते हुए अपनी उँगली से कढ़ाई को छुआ, तो दर्द से मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। पति का दिल और पसीज गया। वह बेटे को अपने पास बैठाकर उसे भी निवाले खिलाने लगा।
कुछ देर बाद पत्नी बोली, "लाओ, थाली मुझे दे दो। तुम आराम करो, मैं रसोई संभाल लूँगी।"
पति ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम बैठो। खाना खाकर बाहर आना।"
थोड़ी देर बाद पत्नी जब रसोई से बाहर आई, तो देखा कि पति बर्तन माँज रहा था।
"ये क्या कर रहे हो जी?" उसने लगभग चिल्लाते हुए पूछा।
पति ने कहा, "तुम्हारे हाथों का दर्द देखा नहीं जा रहा था, इसलिए सोचा, आज ये काम मैं कर लूँ।"
पत्नी की आँखों में आँसू आ गए। "आपने ये अच्छा नहीं किया। मेरे रहते आपने बर्तन साफ किए…" वह सुबकने लगी।
पति ने उसके आँसू पोंछते हुए उसके चेहरे को छुआ। हाथों की जलन ने उसके दर्द को और बयां कर दिया। पत्नी ने उसके हाथों को अपने होंठों से चूमा और कहा, "कैसे आदमी हो तुम? अपने दर्द को रोजी बना लेते हो और आज मेरा दर्द भी अपना बना लिया।"
उस जलन में जो मिठास थी, वह उनकी आँखों की चमक और प्यार को और गहरा कर गई।
संदेश:
रोजी-रोटी के लिए मेहनत करने वाला हर इंसान अपने घर का सिरमौर होता है। उसका भी आत्म-सम्मान होता है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारी वजह से किसी का भी आत्म-सम्मान आहत न हो।
सभी का सम्मान करें और अपने रिश्तों में प्यार और समझ बनाए रखें।