
SahiJankari
February 25, 2025 at 01:40 AM
*वीर सावरकर पुण्यतिथि कल: उनके विचार और बलिदान आज भी प्रासंगिक क्यों हैं?*
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई वीरों ने अपने जीवन का बलिदान दिया, लेकिन कुछ ऐसे नाम हैं जिनकी गूंज आज भी भारतीय समाज में सुनाई देती है। *वीर सावरकर* उन्हीं महान विभूतियों में से एक थे। 26 फरवरी उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाई जाती है, और यह अवसर हमें उनके विचारों, बलिदान और देश के प्रति उनके समर्पण को याद करने का मौका देता है। लेकिन आज भी उनके विचार इतने प्रासंगिक क्यों हैं? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
*वीर सावरकर: एक परिचय*
*जन्म:* 28 मई 1883, भगूर, महाराष्ट्र
*मृत्यु:* 26 फरवरी 1966
वीर सावरकर सिर्फ एक क्रांतिकारी नहीं थे, बल्कि वे एक प्रखर राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, साहित्यकार और विचारक भी थे। उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ क्रांति की अलख जगाई और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
*आजादी के संघर्ष में वीर सावरकर का योगदान*
1. *1857 की क्रांति को 'स्वतंत्रता संग्राम' के रूप में स्थापित करना*
- सावरकर ने अपनी पुस्तक *'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस - 1857'* के माध्यम से यह सिद्ध किया कि 1857 का विद्रोह केवल एक सिपाही विद्रोह नहीं था, बल्कि यह भारत की पहली स्वतंत्रता क्रांति थी।
2. *अंडमान की काला पानी सजा*
- 1911 से 1921 तक उन्होंने अंडमान और निकोबार की जेल में कठोर कारावास झेला।
- जेल में रहते हुए उन्होंने *'हिन्दुत्व'* नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा को परिभाषित किया।
- उन्होंने जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएँ लिखीं और हजारों पंक्तियाँ याद कीं, जिन्हें बाद में बाहर आकर लिखा।
3. *हिन्दू महासभा और सामाजिक सुधार*
- 1937 में वे *हिन्दू महासभा* के अध्यक्ष बने और कई सामाजिक सुधारों की वकालत की।
- उन्होंने जातिवाद के खिलाफ आवाज़ उठाई और 'सामाजिक समानता' के लिए कार्य किया।
- उन्होंने भारत में 'पुनः सैन्यीकरण' का समर्थन किया, जिससे भारतीय सेना को मज़बूती मिली।
*वीर सावरकर के विचार आज भी प्रासंगिक क्यों हैं?*
1. *राष्ट्रवाद और स्वाभिमान*
- सावरकर ने हमेशा भारत के स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की बात की। उनका राष्ट्रवाद आज के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है, जब भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
2. *सामाजिक समरसता*
- उन्होंने जाति-पाति के भेदभाव को मिटाने की वकालत की। आज भी समाज में जातिवाद और भेदभाव की चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जिनसे लड़ने के लिए उनके विचार मार्गदर्शन कर सकते हैं।
3. *स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता*
- उन्होंने भारत के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया। आज जब 'मेड इन इंडिया' और 'वोकल फॉर लोकल' जैसे अभियान चल रहे हैं, तब उनके विचार और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
4. *सुरक्षा और राष्ट्र रक्षा*
- सावरकर ने एक मजबूत राष्ट्र की आवश्यकता पर जोर दिया। वर्तमान समय में, जब भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ा रहा है, उनके विचारों से प्रेरणा ली जा सकती है।
*निष्कर्ष*
वीर सावरकर केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक चेतना के महान नायक भी थे। उनका जीवन और उनके विचार आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर हम न केवल उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प भी लेते हैं।
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