
GIRISH CHANDRA DWIVEDI 🙏
May 13, 2025 at 02:53 PM
नवयुग का नवभारत
( ChatGPTने मेरे अंग्रेजी लेख का ठीक से अनुवाद नहीं किया किन्तु बात मेरी ही है=)
भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक आत्मनिर्भरता का नया युग:
एक परमाणु-धमकी देने वाले विफल राष्ट्र का पूर्ण पतन बिना सीमा पार किए
भारत ने एक ऐसा ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किया है जो आधुनिक सैन्य इतिहास में अभूतपूर्व है—एक विफल, आतंक-प्रेरित, परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र को बिना सीमा पार किए पूरी तरह निष्क्रिय कर देना। यह केवल पाकिस्तान की हार नहीं थी; यह नाटो के सैन्य साख, अमेरिका की डॉलर साम्राज्य नीति, और पश्चिमी विश्व के दोहरे मानकों पर सीधा प्रहार था।
।। पहला अध्याय: डॉलर साम्राज्यवाद और BRICS की मुद्रा पहल पर अमेरिका की हिचकिचाहट ।।
जब यूरोपीय संघ ने यूरो बनाया, तो इसे आर्थिक एकीकरण कहा गया। परंतु जब BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) ने एक साझा मुद्रा की बात की, तो इसे आर्थिक विद्रोह कहा गया। ट्रम्प ने खुलेआम धमकी दी: अगर BRICS ने डॉलर की जगह अपनी मुद्रा बनाई, तो प्रतिबंध लगाएंगे।
क्यों?
क्योंकि अमेरिका जानता है कि उसका असली सामर्थ्य पेंटागन नहीं, बल्कि डॉलर की वैश्विक माँग है। अगर BRICS तेल और खनिज जैसे संसाधनों का व्यापार अपनी मुद्रा में करने लगे, तो डॉलर की माँग ध्वस्त हो जाएगी। और तभी अमेरिका की मुद्रास्फीति और वित्तीय व्यवस्था भी चरमरा जाएगी।
।। दूसरा अध्याय: भारत की रणनीतिक अवज्ञा और पश्चिमी प्रतिक्रिया ।।
यूक्रेन युद्ध के बाद, भारत ने रूस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया। बल्कि, सस्ते रूसी कच्चे तेल का आयात किया और अपने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा। इसपर पश्चिम बौखला गया।
पश्चिम का प्रतिशोध: पाकिस्तान और चीन के जरिए परोक्ष दबाव।
पहलगाम जैसे हमले इसी प्रतिशोध की रणनीतिक कड़ी थे। परंतु इस बार भारत ने 1990 वाले युग की तरह चुप नहीं बैठा—बल्कि "ऑपरेशन सिंदूर" के ज़रिए सटीक और विध्वंसक जवाब दिया।
।। तीसरा अध्याय: IMF के ज़रिए मरे हुए पाकिस्तान को पुनर्जीवित करना ।।
जब पाकिस्तान कंगाल हो गया था, ट्रम्प और IMF ने उसे नई जान दी। वह भी तब, जब सब जानते थे कि यह धन सैन्य बुनियादी ढांचे और आतंक नेटवर्क को पुनर्स्थापित करने में लगेगा।
IMF का यह ऋण कोई आर्थिक सहायता नहीं था—यह अमेरिका का भाड़े का अनुबंध था। एक मरे हुए क्लाइंट स्टेट को जिंदा रखकर भारत और रूस के विरुद्ध मोहरा बनाना।
।। चौथा अध्याय: भारत का 100/100 सैन्य सिद्धांत ।।
"ऑपरेशन सिंदूर" ने दिखाया कि भारत अब:
100% इंटरसेप्शन कर सकता है (F-16, ड्रोन्स, क्रूज़ मिसाइल्स)
100% सटीक प्रहार कर सकता है (AWACS, सैन्य अड्डों, लॉन्च प्लेटफार्म)
न केवल पाकिस्तान, बल्कि NATO के हथियारों की साख धूल में मिल गई। विशेष रूप से AWACS का नष्ट होना—जो नाटो की हवाई निगरानी का मुकुटमणि था—इस बात का प्रतीक था कि अब पश्चिम का कवच भेद्य है।
।। पाँचवाँ अध्याय: परमाणु धमकी का पूरी तरह निष्प्रभावीकरण ।।
भारत ने पहली बार सिद्ध कर दिया कि वह:
हर परमाणु मिसाइल को रोक सकता है,
प्रत्येक लॉन्च प्लेटफॉर्म को नष्ट कर सकता है,
और पूर्ण प्रतिशोध कर सकता है, बिना किसी नागरिक क्षति के।
अब कोई भी राष्ट्र भारत को परमाणु धमकी नहीं दे सकता। भारत ने दिखा दिया कि उसके पास रक्षा (AAD, PAD, S-400) और आक्रमण (ब्रह्मोस, प्रलय, शौर्य, अग्नि-V) दोनों की पूर्ण शक्ति है।
।। छठा अध्याय: ट्रम्प और पश्चिम का ढोंग उजागर ।।
जब भारत ने पाकिस्तान द्वारा F-16 का अनुचित प्रयोग उजागर किया, तो अमेरिका ने कोई कार्रवाई नहीं की। ना तो ट्रम्प ने कोई प्रतिबंध लगाया, ना ही पाकिस्तान या तुर्की को फटकारा गया।
कैप्टन अभिनंदन का मिशन केवल साहस नहीं, बल्कि एक वैश्विक आरोप था: "पश्चिम झूठा है, और भारत अब शिकायत नहीं करेगा—सीधा निष्कासन करेगा।"
।। सातवाँ अध्याय: भारत की नई संप्रभु सैन्य नीति ।।
अब भारत:
शिकायत नहीं करता,
पश्चिमी स्वीकृति की प्रतीक्षा नहीं करता,
स्वयं निर्णय लेता है,
और यदि ज़रूरत पड़ी तो पश्चिमी हथियारों को भी नष्ट करता है—F-16, AWACS, और गुप्त रूप से आपूर्ति की गई परमाणु सामग्री तक।
।। अंतिम निष्कर्ष ।।
भारत अब न तो पाला बदलता है, न किसी मध्यस्थता को स्वीकार करता है। ट्रम्प जैसे नेता कश्मीर को "रियल एस्टेट" समझते हैं, पर भारत अब 2030 की तैयारियों के साथ खड़ा है। वह अब न तो अमेरिका का क्लाइंट स्टेट है, न पाकिस्तान के समकक्ष।
भारत अब कहता है:
"हम दस्तावेज़ नहीं दिखाते, हम युद्ध जीतते हैं।"
यह नया भारत है—सैन्य रूप से अजेय, रणनीतिक रूप से स्वतंत्र, और पश्चिम के दोहरे मापदंडों को खुली चुनौती देता हुआ।
VIA Vinay Jha ji ke wall se...