
🌹Islami Khushbu🌹
May 27, 2025 at 07:56 AM
न जाने अल्लाह तआला को उसकी कौन-सी अदा पसंद आ गई कि जहाज़ को बार-बार वापस लौटना पड़ा।
और कौन कहता है कि अब मोजज़े (चमत्कार) नहीं होते — मोजज़े आज भी होते हैं।
लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक
तस्वीर में नजर आने वाला शख्स लीबिया का रहने वाला "आमिर" है।
इस साल वह हज की नीयत से रवाना हुआ था, लेकिन एयरपोर्ट पर उसके नाम में "अल-क़ज़्ज़ाफ़ी" होने के कारण सिक्योरिटी क्लियरेंस नहीं मिला, और जहाज़ आमिर को छोड़कर उड़ान भर गया।
मगर थोड़ी ही देर में तकनीकी खराबी के चलते जहाज़ को वापस उसी एयरपोर्ट पर लैंड करना पड़ा।
आमिर ने दोबारा कोशिश की कि वह हज के सफर में शामिल हो सके, लेकिन पायलट ने दरवाज़ा खोलने से मना कर दिया और क्लियरेंस के बाद जहाज़ फिर उड़ गया।
दूसरी बार फिर से वही हुआ — तकनीकी खराबी, जहाज़ वापसी।
आमिर ने तीसरी बार फिर कोशिश की, मगर फिर से इंकार मिला और जहाज़ उड़ गया।
लेकिन तीसरी बार भी तकनीकी खराबी के कारण जहाज़ को फिर लौटना पड़ा।
इस बार पायलट ने कह दिया: "जब तक आमिर सवार नहीं होता, जहाज़ उड़ान नहीं भरेगा।"
इस बार आमिर को सिक्योरिटी क्लियरेंस मिल गया और वह हज के लिए रवाना हुआ।
अल्लाह के घर की ज़ियारत के लिए जहाज़ सुकून और सलामती से सऊदी अरब पहुँच गया।
काबा शरीफ की ज़ियारत के लिए "क़ुबूलियत" ही असल चीज़ है।
कुछ लोग ज़मीन पर गुमनाम होते हैं, लेकिन अर्श (स्वर्ग) पर जाने-पहचाने और महबूब होते हैं।
