🌹Islami Khushbu🌹
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June 7, 2025 at 06:24 PM
  *गोश्त के 22 अज्ज़ा जो नही खाए जाते* आला ह़ज़रत इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رحمة الله تعالى عليه फ़रमाते हैं: ☞ह़लाल जानवर के सब अज्ज़ा ह़लाल हैं मगर कुछ (अज्ज़ा) कि ह़राम या मना या मकरूह हैं! *01-* रगों का खून *02-* पित्ता *03-* फुकना (यानी मसाना) *04-* अ़लामाते मादा *05-* अ़लामाते नर *06-* बैज़े (यानी कपूरे) *07-* गुदूद *08-* ह़राम मग़्ज़ *09-* गरदन के दो पठ्ठे कि शानों तक खिंचे होते हैं *10-* जिगर (यानी कलेजी) का खून *11-* तिल्ली का खून *12-* गोश्त का खून की ज़ब्ह़ के बाद गोश्त से निकलता हैं *13-* दिल का खून *14-* पित्त यानी वो ज़र्द पानी कि पित्ते में होता हैं *15-* नाक की रत़ूबत की भेड़ में अक्सर होती हैं *16-* पाख़ाने का मकाम *17-* ओझड़ी *18-* आंतें *19-* नुत़्फ़ा (मनी) *20-* वो नुत़्फ़ा (मनी) की खून हो गया *21-* वो नुत़्फ़ा (मनी) की गोश्त का लोथड़ा हो गया *22-* वो नुत़्फ़ा (मनी) की पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला या बे ज़ब्ह़ मर गया ! *📚(फ़तावा रज़विय्या: जिल्द-20, सफ़्ह़ा-240, 241)* ☞समझदार क़स्साब कुछ मम्नूअ चीज़े निकाल दिया करते हैं मगर कुछ में इनको भी मालूमात नही होती या बे एह़तियात़ी बरतते हैं! लिहाज़ा आजकल उ़मूमन ला इल्मी की वजह से जो चीज़े सालन में पकाई और खाई जाती हैं उन में से चन्द की निशान देही करने की कोशिश करता हूं! *खून* ☞ज़ब्ह़ के वक़्त जो खून निकलता हैं उसे "दमे मस्फूह़" कहते हैं! ये नापाक होता हैं इसका खाना ह़राम हैं! ज़ब्ह़ के बाद जो खून गोश्त में रह जाता हैं, जैसे- गरदन के कटे हुए ह़िस्से पर, दिल के अन्दर, कलेजी और तिल्ली में और गोश्त के अन्दर की छोटी छोटी रगों में ये अगर्चे नापाक नही मगर इस खून का खाना भी मना हैं, लिहाज़ा पकाने से पहले सफ़ाई कर लीजिये! गोश्त में कईं जगह छोटी छोटी रगों में खून होता हैं उनकी निगहदाश्त काफ़ी मुश्किल हैं, पकने के बाद वो रगें काली ड़ोरी की त़रह़ हो जाती हैं ! ख़ास कर भेजा, सिरी पाए और मुर्गी की रान और पर के गोश्त वग़ैरा में बारीक काली ड़ोरियां देखी जाती हैं खाते वक़्त इनको निकाल देना चाहिए! *ह़राम मग़्ज़* ☞ये सफ़ेद डोरे की त़रह़ होता हैं जो कि भेजे से शुरू हो कर गरदन के अन्दर से गुज़रता हुआ पूरी रीढ़ की हड्डी में आख़िर तक जाता हैं! *पठ्ठे* ☞गरदन की मज़बूती के लिए इस की दोनों त़रफ़ पीले रंग के दो लम्बे लम्बे पठ्ठे कन्धों तक खिंचे हुए होते हैं, इन पठ्ठो का खाना मना हैं! *गुदूद* ☞गरदन पर, ह़ल्क़ में और बाज़ जगह चर्बी वग़ैरा में छोटी बड़ी कहीं सुर्ख़ और कहीं मटियाले रंग की गोल गोल गांठे होती हैं, इन को अरबी में गुद्दा और उर्दू में गुदूद कहते हैं, *ये भी खाना मना हैं!* *कपूरा* ☞कपूरे को खुस्या, फ़ोत़ा या बैदा भी कहते हैं ये खाना मकरूह़े तह़रीमी हैं! *ओझड़ी* ☞ओझड़ी के अन्दर ग़लाज़त भरी होती हैं इस का खाना मकरूह़े तह़रीमी हैं, मगर मुसलमानों की एक तादाद हैं जो आजकल इसको शौक़ से खाती हैं, लिहाज़ा खुद भी बचे और जो खाते हैं उन्हे भी इस मसअले से आगाह करे!

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