
Dr. Azam.type
May 21, 2025 at 11:50 AM
इसमें (हुरमत की) बहुत सी वाज़े और रौशन निशानियां हैं (उनमें से) मुक़ाम इबराहीम है (जहां आपके क़दमों का पत्थर पर निशान है) और जो इस घर में दाख़िल हुआ अमन में आ गया और लोगों पर वाजिब है कि महज़ ख़ुदा के लिए ख़ानाए काबा का हज करें जिन्हे वहां तक पहुँचने की इस्तेताअत है और जिसने बावजूद कुदरत हज से इन्कार किया तो (याद रखे) कि ख़ुदा सारे जहान से बेपरवा है
Surah Al Imran ayat 97
बेशक जो लोग काफिर हो बैठे और खुदा की राह से और मस्जिदें मोहतरम (ख़ानए काबा) से जिसे हमने सब लोगों के लिए (इबादतगाह )बनाया है (और) इसमें शहरी (वहां के रहने वाले) और बेरूनी (बाहर से आने वाले) सबका हक़ बराबर है जो (लोगों को) रोकते हैं (उनको) और जो शख्स इसमें शरारत से गुमराही करे उसको हम दर्दनाक अज़ाब का मज़ा चखा देंगे
Surah Al-Hajj ayat 25
याद करो जब कि हमने इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के ज़रिए से इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) के लिए अल्लाह के घर को ठिकाना बनाया, इस हुक्म के साथ कि "मेरे साथ किसी चीज़ को शरीक न ठहराना और मेरे घर को तवाफ़ करने वालों और क़याम करने वाले और रूकू और सजदा करने वालों के लिए पाक-साफ़ रखना।
"surah Hajj aayat 26

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