Qadri Samar Foundation
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June 3, 2025 at 06:51 AM
*🐑"कुर्बानी का बयान"🥩* _📮पोस्ट नम्बर::-6️⃣_ *💎क़ुरबानी के वक़्त में क़ुरबानी करना ही लाज़िम है 💫* 🐏 क़ुरबानी के वक़्त में क़ुरबानी करना ही लाज़िम है कोई दूसरी चीज़ इसके क़ाइम मक़ाम नही हो सकती, मसलन बजाए क़ुरबानी के बक़रा या उस की क़ीमत सदक़ा कर दी जाए ये नाकाफी है। (यानी जानवर की कुरबानी के बदले उसकी क़ीमत सदका करने से वाजिब अदा नहीं होता! 🐪 क़ुरबानी के जानवर की उम्र ऊंट 5 साल का, गाय दो साल की, बकरा (इसमें बकरी, दुम्बा और भेड़ नर व मादा दोनों शामिल है) एक साल का। इससे कम उम्र हो तो क़ुरबानी जाइज़ नही, ज़्यादा हो तो जाइज़ बल्कि अफज़ल है। 🐑 दुम्बा या भेड़ का 6 महीने का बच्चा अगर इतना बड़ा हो की दूर से देखने में साल भर का मालुम हो तो उसकी क़ुरबानी जाइज़ है। 🦻 याद रखिये ! मुतलकन 6 माह के दुम्बे की क़ुरबानी जाइज़ नही, इस का इतना तगड़ा और क़द आवर होना ज़रूरी है कि दूर से देखने में साल भर का लगे। अगर 6 माह बल्कि साल में एक दिन भी कम उम्र का दुम्बे या भेड़ का बच्चा दूर से देखने में साल भर का नही लगता तो उस की क़ुरबानी नही होगी। 🐐 क़ुरबानी का जानवर बे ऐब होना ज़रूरी है अगर थोडा सा ऐब हो (मसलन कान में चिर या सुराख हो) तो क़ुरबानी मकरूह होगी और ज़्यादा ऐब हो तो क़ुरबानी नही होगी! *(📚बहारे शरीअत 3/340)* 💫🥀💫🥀💫🥀💫🥀💫🥀💫🥀💫 👍🏻ㅤ 🔔    🔖    📤 📩 𓅷 *ˡᶦᵏᵉ  ᵖʳᵉˢˢ ⁿᵒʷ  ˢᵃᵛᵉ   ˢʰᵃʳᵉ ᶜᵒᵐᵐᵉⁿᵗ ᶠᵒˡˡᵒʷ*

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