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May 30, 2025 at 06:58 AM
मजबूर कलम, मजबूत नहीं हो सकती।
मुश्किलों की आंधी में जिस की स्याही सूख जाए, सच के सफ़र में जिसके कदम डगमगाए, ऐसी कलम को कलम कहलाने का कोई हक नहीं, कलम तो वह है जो हर प्रकार की अव्यवस्था एवं अन्याय के खिलाफ मजबूती से डटे रहे।
आज #हिंदी_पत्रकारिता_दिवस पर सभी पत्रकार साथियों को शुभकामनाएं🙏।
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