
Paathshala Aapke Dwar ,Jain Paathshala ,जैन पाठशाला,समता संस्कार पाठशाला, Samta Sanskaar Paathshala
May 14, 2025 at 02:53 PM
इस तस्वीर को देखकर यह विचार आता है कि
1.सहज, सुलभ प्राप्त वस्तु की कदर नहीं होती है!
2.मानव नैसर्गिक की अपेक्षा चकाचौंध की ओर भाग रहा है
3. प्राकृतिक संसाधनों को त्याग कर मानवनिर्मित सुख सुविधा को अपना रहा है
4. *जो प्राप्त है, वह अपर्याप्त है* यही आज के मानव की सोच है
**RASHMI SURANA*

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