
محمد جمال الدین خان قادِری
May 27, 2025 at 12:36 AM
इख़्तिलाफ़ इख़्तिलाफ़ इख़्तिलाफ़, क़िस्त़ ⓭
✍ अ़ब्दे मुस़्त़फ़ा मुह़म्मद स़ाबिर इस्माई़ली
📝 मुह़म्मद जमालुद्दीन ख़ान क़ादिरी रज़वी
*`फ़ुरूई़ इख़्तिलाफ़ी मसाइल` की शरई़ ह़ैसियत और अकाबिरीन में इख़्तिलाफ़ के बा-वजूद आपसी मह़ब्बत की कुछ मिसालें - “मुजद्दिदे मिल्लत इमाम अह़मद रज़ा ख़ान” के `㉑ ह़ुरूफ़ की निस्बत से` इख़्तिलाफ़ी मसाइल और अकाबिरीने अहले सुन्नत के आपसी रवैये की `㉑ मिसालें:`*
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*`मिसाल नम्बर ⓬`* ह़ज़रते *बह़रुल उ़लूम* علیہ الرحمہ से एक सुवाल किया गया जो कि *ह़सनैने करीमैन* رضی الله عنہما के नाम के साथ علیہ السلام इस्तेअ़्माल करने के मुतअ़ल्लिक़ था; इस पर आप علیہ الرحمہ ने बड़ा प्यारा जवाब इ़नायत फ़रमाया जिस में आपने पहले तो इस बात की तस़रीह़ फ़रमाई कि
येह इख़्तिलाफ़ी मस्अलह है और इतना सख़्त नहीं कि अगर किसी सुन्नी ने रवाफ़िज़ की तश्बीह के लिए नहीं बल्कि मह़ब्बत में उनके नाम के साथ علیہ السلام का इस्तेअ़्माल किया तो कोई बहुत बड़ा जुर्म नहीं हो गया और इस क़िस्म के मसाइल में हंगामा बे-सूद बल्कि बाइ़से फ़ित्नह है जिस से राफ़िज़ियों और ख़ारिजियों को तो फ़ाइदह हो सकता है, लेकिन अहले सुन्नत व जमाअ़त को नहीं - [मुलख़्ख़स़न: *फ़तावा बह़रुल उ़लूम,* जिल्द⁵, पेज³¹¹]
*बह़रुल उ़लूम,* ह़ज़रत अ़ल्लामह *मुफ़्ती अ़ब्दुल मन्नान अअ़्ज़मी* علیہ الرحمہ के इस जवाब से हमें येह बातें समझ में आईं: ❶ इस त़रह़ के इख़्तिलाफ़ी मसाइल में मुख़ालिफ़ को मुजरिम क़रार नहीं दिया जा सकता और इन मसाइल को लेकर हंगामा बर्पा करना बेकार है - ❷ ऐसे मसाइल को बुनियाद बना कर फ़ित्नह व फ़साद करने से अहले सुन्नत व जमाअ़त को नुक़्स़ान के अ़लावह कुछ ह़ास़िल नहीं हो सकता और इससे स़िर्फ़ बद-मज़हबों का फ़ाइदह है -
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