
محمد جمال الدین خان قادِری
June 10, 2025 at 06:42 PM
*फ़तावा रज़विय्यह और बहारे शरीअ़त में*
*फ़ुरूई़ इख़्तिलाफ़ी मसाइल,* `क़िस्त़ ❷`
पेशाब की बहुत बारीक सुई की नोक के बराबर छींटें अगर कपड़े पर पड़ जाएं, तो मुआ़फ़ हैं, उनसे कपड़ा नापाक न होगा; आ'ला ह़ज़रत और स़दरुश्-शरीआ़ ने भी यही फ़रमाया, लेकिन जिस कपड़े पर ऐसी बारीक बूंदें पड़ें, वो कपड़ा थोड़े पानी में गिर जाए, तो पानी पाक रहेगा या नापाक?
*इस बारे में आ'ला ह़ज़रत इमाम अह़मद रज़ा ख़ान क़ादिरी रज़वी बरेलवी अ़लैहिर्रह़मा फ़रमाते हैं:* "सुई की नोक के बराबर बारीक-बारीक बुन्दकियाँ नजिस पानी या पेशाब की, कपड़े या बदन पर पड़ गईं, मुआ़फ़ रहेंगी, अगर्चे जम्अ़् करने से रूपये भर से ज़ाइद जगह में हो जाएं, मगर पानी पहुँचा और न बहा या ग़ैर जारी पानी में वो कपड़ा गिर गया, तो (पानी) नजिस हो जाएगा और अब उसकी नजासत से कपड़ा भी नापाक ठहरेगा।" 📙 [फ़तावा रज़विय्या, जिल्द नं. 4, सफ़ह़ा नं. 690, नाशिर: रज़ा फ़ाउन्डेशन (लाहौर)]
*जबकि ह़ुज़ूर स़दरुश्-शरीआ़ अ़लैहिर्रह़मा फ़रमाते हैं:* "पेशाब की निहायत बारीक छींटें सुई की नोक बराबर की बदन या कपड़े पर पड़ जाएं, तो कपड़ा और बदन पाक रहेगा; जिस कपड़े पर पेशाब की ऐसी ही बारीक छींटें पड़ गईं, अगर वो कपड़ा पानी में पड़ गया, तो पानी भी नापाक न होगा।" 📙 [बहारे शरीअ़त, जिल्द नं. 1, सफ़ह़ा नं. 392, नाशिर: मक्तबतुल मदीना (कराची)]
*इनके इ़लावा और भी कुछ मसाइल हैं, जिनमें आ'ला ह़ज़रत रह़मतुल्लाहि अ़लैह और ह़ुज़ूर स़दरुश्-शरीआ़ रह़मतुल्लाहि अ़लैह में इख़्तिलाफ़ है.*
`जान लें` के ये इख़्तिलाफ़ हमेशा से होता आया है और इसे ह़ुज़ूर (ﷺ) ने रह़मत क़रार दिया; लिहाज़ा इसकी वजह से उ़लमा पर ला'न त़ा'न करने से बचें और अपने आ'माल दुरुस्त करने की कोशिश करें।
✍ मुह़म्मद ज़ैद रज़ा क़ादिरी
तारीख़: 09/01/2025 ई़स्वी
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