Kamarpukur RKM (Ramakrishna Math & Ramakrishna Mission)
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June 5, 2025 at 04:54 AM
हमने श्रीरामकृष्णदेव को जीवनभर गंगाजी के प्रति विशेष भक्ति करते हुए देखा है | वे कहते थे—नित्य शुद्ध ब्रह्म ही जीव को पवित्र करने के लिए वारिरूप में गंगाजी का आकार धारण कर प्विराजमान हैं। इसलिए गंगाजी साक्षात्‌ ब्रह्मवारि है। गंगातट पर निवास करने से अन्तःकरण देवतुल्य द्वो जाता है तथा धर्मबुद्धि स्वतः ही स्फुटित होती है। गंगाजी के पवित्र जलकणपरिपूर्ण वायु उसके दोनों तट पर जहाँ तक प्रवाहित होती है, वहाँ तक की भूमि पवित्र हो जाती है और उस भूमि पर निवास करनेवालों के जीवन में सदाचार, ईश्वरभक्ति, निष्ठा, दान तथा तपस्या की भावना शैलुसुता भागीरथी की कृपा से सदा ही विद्यमान रहती है। बहुत देर तक विषयवार्ता की आलोचना अथवा विषयी लोगों के साथ रहकर जब कोई उनके समीप आता था, तब श्रीरामकृष्णदेव थोड़ा-सा गंगाजल पान करने के लिए उससे कहते थे | ईश्वरविमुख, विषयासक्त मानव उस पुनीत स्थान में किसी जगह बैठ विषय-चिन्तन के द्वारा यदि उस स्थल को कलुषित कर देता था, तब वे वहाँ पर गंगाजल छिड़क देते थे। गंगाजल में किसी को शौचादि करते हुए देखकर उन्हें विशेष कष्ट का अनुभव होता था । _श्रीरामकृष्ण लीलाप्रसंग ‌(द्वितीय खण्ड) – स्वामी सारदानन्द_ 🪷 *श्रीश्रीगंगा दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सुप्रभात* 🪷
🙏 ❤️ 🌸 🌹 🙇‍♀ 🪷 42

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