
Daily Vivekananda
May 15, 2025 at 12:30 AM
अपने बल पर खड़े रहिए - चाहे जीवित रहिए या मरिए । यदि जगत में कोई पाप है तो वह है- दुर्बलता। दुर्बलता ही मृत्यु है, दुर्बलता ही पाप है, इसलिए सब प्रकार से दुर्बलता का त्याग कीजिए।
-- स्वामी विवेकानन्द
{वि.सा.- ५ : व्याख्यान : कोलोम्बो से अलमोडा़ तक : रामनाड़ अभिनन्दन का उत्तर}
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