
Daily Vivekananda
June 7, 2025 at 01:54 AM
सत् और असत् की चर्चा क्यों करते हो? द्वैत-अद्वैत इन सभी बातों को छोड़ दो। तुम दो थे ही कब, जो द्वैत और अद्वैत की बातें करते हो। यह जगत्प्रपंच वही शुद्धबुद्धस्वरूप ब्रह्म मात्र है, ब्रह्म को छोड़कर और कुछ भी नहीं है।
-- स्वामी विवेकानन्द
{वि.सा. ७ : देववाणी - २८ जुलाई, रविवार - दत्तात्रेयकृत अवधूत-गीता}
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