
Bhavishyat.Org
June 8, 2025 at 03:23 PM
*मित्रों,*
संवैधानिक संस्था पर यदि कोई प्रश्न है तो संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति सीधे अधिकृत पत्र के माध्यम से स्पष्टीकरण प्राप्त कर सकता है। किंतु जब स्वयं संविधान की वैधता को ही चुनौती देने का प्रयास किया जाए, तब यह स्पष्ट होता है कि उद्देश्य न्याय नहीं, अपितु जनमानस को भ्रमित करना मात्र है।
यह उसी पूर्ववर्ती देशद्रोही रणनीति की पुनरावृत्ति है जिसमें भारतीय लोकतंत्र को विदेशी मंचों पर संदिग्ध सिद्ध करने, तथा समस्त संवैधानिक संस्थाओं में जन अविश्वास उत्पन्न करने का संगठित षड्यंत्र चला आ रहा है।
*चुनाव प्रक्रिया की वैधता पर प्रश्न उठाना नितांत अनुचित है।*
प्रत्येक चुनाव से पूर्व मतदाता सूची की प्रतिलिपि राजनीतिक दलों को प्रदान की जाती है। इसमें आपत्ति हेतु अवसर भी सभी पार्टियों के पोलिंग एजेंटों के माध्यम से उपलब्ध होता है, और वे स्वयं लिखित रूप में सूची की पुष्टि भी करते हैं। यह एक सामान्य, विधिसम्मत प्रक्रिया है, जिसपर किसी भी न्यायालय द्वारा आपत्ति नहीं की जा सकती।
*विशेष ध्यान दें* — जो लोग इस प्रकार की राष्ट्रविरोधी राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं, और जो तथाकथित मीडिया और पत्रकार अथवा यूट्यूब माध्यम, अधूरी और एक तरफ जानकारियों एवं तथ्य शून्यता के साथ इन्हें उचित ठहराने का प्रयास कर रहे हैं, वे भी इस राष्ट्रघाती कृत्य में समान रूप से भागीदार हैं।
*सावधान रहें!*
ये शिशुपाल अपनी सौ गिनतियों को पूर्ण करने ही वाले हैं। लेकिन जो शेष विकृत विचारधारा की खरपतवार बची है, उसकी भी शीघ्र ही छंटाई सुनिश्चित है।
*यह अब आपके विवेक का निर्णय है —*
_क्या आप स्वयं को राष्ट्र के साथ खड़ा पाते हैं, या उन विदेशी मूल के राष्ट्रविरोधी तत्वों के साथ, जो हमारे लोकतंत्र की जड़ों को खोखला करने में लगे हैं?_
🔱 *हर हर महादेव* 🚩
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