
THE Poetry
June 3, 2025 at 08:20 AM
मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है,
ये आंख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है!!
बस अपने वास्ते ही फ़िक़्रमंद हैं सब लोग,
यहां किसी को किसी का ख़याल थोड़ी है!!
परों को काट दिया है उड़ान से पहले,
ये ख़ौफ़ ए हिज्र है शौक़ ए विसाल थोड़ी है!!
मज़ा तो तब है कि हम हार के भी हंसते रहें,
हमेशा जीत ही जाना कमाल थोड़ी है!!
लगानी पड़ती है डुबकी उभरने से पहले,
ग़ुरूर होने का मतलब ज़वाल थोड़ी है!!
