SSandeep Deo
SSandeep Deo
May 28, 2025 at 03:08 AM
जब कोई धर्मगुरु धर्म छोड़कर सत्ता के जुमले को जस्टिफाई करने लगे तो फिर वह धर्मगुरु नहीं, 'दरबारी बाबा' कहलाता है। कुम्भनदास जी कह गये, 'संतन को कहां सिकरी सो काम'...लेकिन यहां तो 'सरकारी सिक्कर' पहनने की जैसे प्रतियोगिता चल रही है! १) अरे आचार्य जी, हमारे सुल्तान को इतनी ही पीड़ा थी तो हिंदू सुहागिनों का सिंदूर पोंछने वाले उन चार आतंकवादियों को पाकिस्तान से मांगने की जगह भारतीय सेना का हाथ बांध कर सीजफायर क्यों कर दिया? २) उन्हें इतनी ही पीड़ा थी सिंदूर की तो हाफिज सईद और अजहर मसूद जैसे खुंखार आतंकवादियों को पाकिस्तान से मांगने से पहले जीतती भारतीय सेना का हाथ क्यों बांधा? ३) इतनी ही पीड़ा थी सिंदूर उजाड़े जाने की तो अभी तक पहलगाम में मारे उन विधवाओं से मिलने क्यों नहीं गये? यहां तक कि युद्ध के शिकार हुए पूंछ के 16 नागरिकों और 8 जवानों के प्रति भी उनके मुंह से अभी तक एक शब्द नहीं निकला? ४) इतनी ही पीड़ा थी तो देश में विजयी भारतीय सेना की जगह सेना की वर्दी वाली अपनी फोटो लगवाए क्यों घूम रहे हैं? ५) इतनी ही पीड़ा थी सिंदूर की तो #opretionsindoor आरंभ होने से पहले विदेश मंत्री के कथनानुसार पाकिस्तान को सूचित क्यों कर दिया कि हम हमला करने आ रहे हैं? ६) इतनी ही चिंता थी सिंदूर की तो आतंकवादियों के आका पाकिस्तानी सेना के सैन्य ठिकानों पर हमला करने से भारतीय सेना का हाथ क्यों बांध दिया? ७) सुहागिनों की इतनी ही चिंता थी तो 19 अप्रैल को अपना जम्मू-कश्मीर का दौरा रद्द किया, लेकिन पर्यटकों को आगाह क्यों नहीं कराया कि आतंक का अलर्ट है? जबकि हर देश डेंजर जोन में अपने नागरिकों को न जाने को कहती है। ८) इतनी ही चिंता थी सिंदूर की तो पहलगाम में 22 अप्रैल को एक भी सुरक्षाकर्मी या सेना का जवान वहां क्यों नहीं था, जहां 2000 पर्यटक छुट्टी मना रहे थे? ९) और यदि इतनी ही चिंता है महिलाओं के सिंदूर की तो सिंदूर उजाड़ने वाले वो चार आतंकवादी आज तक पकड़े क्यों नहीं गये? सनातन धर्म शास्त्रों ने धर्म और जनकल्याण छोड़ कर सत्ता की ग़लत बात पर भी हां में हां मिलाने वाले को कभी धर्म गुरु नहीं माना! #isdviews
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