Limesh Kumar Jangam
Limesh Kumar Jangam
May 27, 2025 at 08:19 AM
लोकतंत्र में मुंह खोलना अब अपराध है.... 🟢 1. सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और जिम्मेदारी ▪️ सुप्रीम कोर्ट को अब स्पष्ट करना चाहिए कि "राष्ट्रीय सुरक्षा", "देशद्रोह" और "आस्था" जैसे बहानों के नाम पर बोलने और लिखने की स्वतंत्रता का गला घोंटना कब तक जारी रहेगा। ▪️ इन मामलों में एक ठोस प्रक्रिया और जवाबदेही तय होनी चाहिए, जैसा सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर मामलों में किया। 🟢 2. दो मामलों की तुलना: प्रोफेसर अली खान बनाम मंत्री विजय शाह ▪️ विजय शाह : सेना पर आपत्तिजनक, सांप्रदायिक और नफरत भरे बयान दिए, फिर भी गिरफ्तारी नहीं हुई। ▪️ अली खान : एक फेसबुक पोस्ट में भारत की सैन्य रणनीति की सराहना की, फिर भी गंभीर धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिए गए। ▪️ कार्रवाई में पक्षपात का स्पष्ट संकेत है, एक को बचाया जा रहा है, दूसरे को तुरंत गिरफ्तार किया गया। 🟢 3. गिरफ्तारी की प्रक्रिया और उसका अमानवीय स्वरूप ▪️ अली खान की गिरफ्तारी सुबह-सुबह भारी पुलिस बल के साथ की गई, जबकि उनकी पत्नी गर्भवती हैं। ▪️ अहमदाबाद में बाहुबली शाह की गिरफ्तारी भी इसी पैटर्न पर हुई, जबकि उनके परिवार में हाल ही में शोक था। ▪️ यह दर्शाता है कि सरकार की असहमति को कुचलने की नीति कितनी निर्दयी हो चुकी है। 🟢 4. मुंह खोलना अपराध बन गया है ? ▪️ अब भारत में केवल बोलने नहीं, बल्कि "मुंह खोलने" पर भी एफआईआर हो रही है। ▪️ न हास्य की आज़ादी बची है, न आलोचना की। ▪️ अब पुलिस लिखते ही पहुंच जाती है, चाहे नदियां सूख रही हों, पर पुलिस की धाराएं बह रही हैं। 🟢 5. मीडिया की भूमिका: जांच नहीं, जज बन बैठा है प्रेस ▪️ मीडिया ने अली खान को ऐसा पेश किया जैसे कोई आतंकवादी पकड़ा गया हो। ▪️ दैनिक जागरण : "पाकिस्तानी प्रेम" से जोड़कर गिरफ्तारी को सही ठहराने की कोशिश। ▪️ भास्कर और मनी कंट्रोल : दादा का संबंध मुस्लिम लीग से जोड़कर संदेह फैलाया, लेकिन उनके नाना जगत एस मेहता के बारे में मौन। ▪️ मीडिया ने गिरफ्तारी का कारण समझाने की जगह उसका समर्थन किया। 🟢 6. पुलिस और सत्ता के बीच का दबाव और तबादले का सवाल ▪️ हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणू भाटिया के दौरे के बाद सोनीपत की पुलिस कमिश्नर नाजनीन भसीन का तबादला हुआ। ▪️ यह तबादला एक महिला अधिकारी को सुरक्षा न देने के आरोप पर हुआ या अली खान की गिरफ्तारी में धीमी कार्यवाही के कारण? इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है। ▪️ क्या सत्ता के इशारे पर पुलिस अधिकारियों का तबादला हो रहा है ? 🟢 7. न्यायपालिका की दोहरी प्रतिक्रिया ▪️ सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री विजय शाह के माफीनामे को खारिज किया, लेकिन अली खान की गिरफ्तारी पर उतनी तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी। ▪️ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लेकर पुलिस को फटकार लगाई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अभी तक उतनी स्पष्टता नहीं दिखाई दी है। 🟢 8. क्या गिरफ्तारी का कारण "मुसलमान होना" है ? ▪️ अनेक लोगों ने लिखा कि प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी उनके मुस्लिम नाम के कारण हुई। ▪️ क्या नाम और धर्म अब अपराध की श्रेणी में आ गया है ? ▪️ इससे नागरिकता और धर्मनिरपेक्षता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। 🟢 9. परिवार और विरासत को टारगेट करना: क्या यह न्याय है ? ▪️ मीडिया ने प्रोफेसर खान के दादा के इतिहास को उछाला लेकिन यह नहीं बताया: ▪️ उनके नाना जगत एस मेहता भारत के पूर्व विदेश सचिव रहे हैं। ▪️ अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ▪️ उनके पिता स्वतंत्र भारत में दो बार कांग्रेस विधायक रह चुके हैं। 🟢 10. अभिव्यक्ति की आजादी की कीमत ▪️ यह मामला एक उदाहरण नहीं, चेतावनी है कि कैसे सत्ता असहमति से डरती है। ▪️ मीडिया, पुलिस और राजनीति मिलकर अगर असहमति को अपराध बना देंगे, तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। ▪️ अब समय आ गया है कि जनता इस चुप्पी को तोड़े, न्याय की मांग करे, नहीं तो कल यह खामोशी हर घर की कहानी बन जाएगी। 🟢 विचारों की अभिव्यक्ति पर पहरा ? ▪️ जुलाई 2022 में ओपन मैगज़ीन में वरिष्ठ राजनयिक टीपी श्रीनिवासन का एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें उन्होंने सरकार की नीतियों और रवैये पर सवाल उठाए। ▪️ इसी तरह, प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी ने कई पुराने संदर्भों को फिर से जीवंत कर दिया है—जिनमें विचार, स्वतंत्रता और पहचान के प्रश्न जुड़ते हैं। 🟢जगत एस. मेहता का योगदान और विरोधाभास ▪️ प्रोफेसर अली खान के नाना जगत एस. मेहता भारत के पूर्व विदेश सचिव रहे। ▪️ अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। ▪️ विडंबना यह कि जिनके परिवार ने अशोका यूनिवर्सिटी को उनके दस्तावेज़ दान किए, वहीं उसी संस्थान में पढ़ाने वाले उनके नाती को बिना समर्थन के गिरफ्तार किया गया। 🟢रिश्तों की जड़ें और अकादमिक विरासत ▪️ प्रोफेसर अली खान की नानी रमा मेहता प्रसिद्ध लेखिका थीं, जिनके नाम पर फेलोशिप भी स्थापित की गई। ▪️ उनके मामा विक्रम मेहता थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंडिया के अध्यक्ष हैं। ▪️ यह पूरा परिवार शिक्षाविद और सार्वजनिक सेवा से जुड़ा रहा है। 🟢गिरफ्तारी के पीछे की घटनाएं ▪️ प्रोफेसर अली खान ने फेसबुक पर एक पोस्ट में युद्ध विरोधी और मानवीय दृष्टिकोण से अपनी राय रखी। ▪️ हरियाणा महिला आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा, परंतु जब वे व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हुए, तो उनके खिलाफ एफआईआर और गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। 🟢लगाई गई धाराएं और गंभीरता ▪️ प्रोफेसर खान पर निम्न धाराएं लगाई गईं : ▪️ धारा 152 : देश को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों से जुड़ी। ▪️ धारा 196 : विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाना। ▪️ धारा 197 : संप्रभुता को खतरे में डालने वाली झूठी जानकारी। ▪️ धारा 299 : धार्मिक भावनाओं का अपमान। ▪️ ये सभी गैर-जमानती और गंभीर धाराएं हैं जिनमें 7 साल से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। 🟢पोस्ट का विवरण : युद्ध के विरुद्ध, सेना के समर्थन में ▪️ प्रोफेसर खान ने अपनी पोस्ट में लिखा : ▪️ भारत की रणनीति की तारीफ की गई। ▪️ नागरिक ठिकानों पर हमले से बचने के भारत के संयम को सराहा गया। ▪️ कहा गया कि "आतंकी और सैनिक ठिकानों में अंतर अब खत्म हो गया है", जो भारत सरकार की रणनीति के अनुरूप है। ▪️ उन्होंने युद्ध के परिणामस्वरूप बेगुनाह नागरिकों की मौत को लेकर चिंता जताई, जो पूरी तरह मानवीय रुख है। 🟢एफआईआर और मीडिया का रवैया ▪️ सरपंच योगेश जठेड़ी की एफआईआर में कहा गया कि प्रोफेसर खान ने सेना का मज़ाक उड़ाया, जबकि उनके फेसबुक पोस्ट में ऐसा कुछ नहीं था। ▪️ मीडिया ने जांच के बिना “विवादास्पद बयान” जैसे शब्दों का उपयोग करके प्रोफेसर खान की छवि पर संदेह पैदा किया। ▪️ पत्रकारिता का कर्तव्य पड़ताल और सच्चाई सामने लाना है, न कि केवल आरोप दोहराना। 🟢डबल स्टैंडर्ड्स और सवाल ▪️ प्रोफेसर खान को विचारों के लिए गिरफ्तार किया गया, लेकिन कर्नल सोफिया कुरैशी पर मध्य प्रदेश के मंत्री द्वारा की गई अशोभनीय टिप्पणी पर सरकार ने चुप्पी साध ली। ▪️ क्या यह दर्शाता है कि नाम और पहचान के आधार पर न्याय का मापदंड बदल जाता है ? 🟢सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया ▪️ कई पत्रकार, लेखक, महिला संगठन, प्रेस क्लब्स और नागरिक संगठनों ने गिरफ्तारी की आलोचना की। ▪️ प्रधानमंत्री मोदी के समर्थकों तक ने प्रोफेसर अली खान का समर्थन किया। ▪️ अशोक मलिक (राष्ट्रपति भवन के पूर्व प्रेस सचिव) ने उन्हें “निहायत ही शरीफ” व्यक्ति बताया। 🟢भाजपा की राजनीति पर प्रश्न ▪️ सवाल उठता है कि वाजपेयी सरकार ने मुस्लिम लीग से जुड़े व्यक्ति को पद्म भूषण दिया, आज की सरकार उसी पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी क्यों कर रही है ? ▪️ क्या यह सांप्रदायिक नैरेटिव का विस्तार नहीं है ? 🟢गिरफ्तारी का व्यापक संदर्भ ▪️ जब भारत दुनियाभर में लोकतंत्र और जवाबदेही की तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है, तब एक प्राध्यापक को शांति और युद्ध-विरोधी बयान के लिए जेल में डालना गंभीर विरोधाभास दर्शाता है। ▪️ प्रोफेसर खान के पोस्ट में भगवान बुद्ध, गीता, पैगंबर मोहम्मद और मौलाना रूमी के विचारों का उल्लेख था, इन सबका उद्देश्य मानवता और शांति की स्थापना था। 🟢असली भारत कौन ? ▪️ इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रोफेसर अली खान ने असली भारत की तस्वीर पेश की, वह भारत जो शांति, सहिष्णुता और विवेक का प्रतीक है। ▪️ वहीं सरकार की कार्रवाई ने असली भाजपा की तस्वीर पेश की, जो असहमति को कुचलने, पहचान के आधार पर निशाना बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों को नजरंदाज करने की दिशा में बढ़ती दिखाई देती है। 🔴 अंतिम बात : ▪️ प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, यह हर उस नागरिक की स्वतंत्रता पर हमला है जो सोचता, बोलता या सवाल करता है। अब फैसला हमें करना है, हम लोकतंत्र के नागरिक रहना चाहते हैं या 'एफआईआर राज्य' के बंदी ? ■ ✍🏻 लिमेशकुमार जंगम
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