
Limesh Kumar Jangam
May 29, 2025 at 05:24 PM
मोदी का विदेशी वस्तुओं से प्रेम, जनता से कह रहे स्वदेशी अपनाओ
चश्मा – इटली से - 1.5 लाख
पेन – जर्मनी से – 1.3 लाख
सूट – इंग्लैंड से – नीलाम कीमत 4.31 करोड़
कारें – ब्रिटेन से - 1 करोड़ से अधिक
🔹 स्वदेशी वस्तुओं का समर्थन : मोदी जी की अपील
▪️ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात (भुज) में भाषण के दौरान देशवासियों से देसी चीज़ें खरीदने और विदेशी वस्तुओं से परहेज करने की अपील की।
▪️ उन्होंने दावा किया कि देश को चौथे से तीसरे स्थान पर लाने के लिए स्वदेशी अपनाना जरूरी है।
▪️ लेकिन भारत अभी चौथे नहीं, पांचवें स्थान पर है, जो उन्होंने गलत बताया।
🔹 खुद के उपयोग में विदेशी ब्रांडों की भरमार
▪️ मोदी जी का पसंदीदा चश्मा – मेबक (Maybach) या बलगारी (Bvlgari) – इटली के लग्ज़री ब्रांड हैं।
▪ अनुमानित कीमत : ₹ 1.5 लाख
▪️ पेन – मोंट ब्लैंक (Montblanc) – जर्मनी का प्रतिष्ठित ब्रांड।
▪ अनुमानित कीमत : ₹ 1.3 लाख
▪ सूट – प्रसिद्ध नामवाला सूट, जिसकी कीमत ₹ 4.31 करोड़ थी, इंग्लैंड के Holland & Sherry of Savile Row का कपड़ा।
▪ कीमत : ₹ 1 लाख से ₹ 1.5 लाख प्रति मीटर
🔹 विदेशी गाड़ियों की सवारी
▪ मोदी जी की मुख्य गाड़ियां :
▪ Land Rover Range Rover – ब्रिटिश ब्रांड, कीमत ₹ 1 करोड़ +
▪ BMW 7 Series – जर्मन ब्रांड
▪ जहाज़ भी विदेशी निर्माण का है।
🔹 विदेशी दौरों की संख्या
▪ अब तक 72 देशों की यात्रा कर चुके हैं।
▪ आलोचना : इन यात्राओं के बावजूद संघर्ष की घड़ी में कोई देश साथ नहीं आया।
🔹 व्यापार घाटा और चीन से आयात
▪ ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार,
▪ भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा \$100 अरब तक पहुंच गया है।
▪ चीन से 7521 प्रकार की वस्तुएं आयात की गईं :
▪ प्लास्टिक/रबड़ – ₹ 54278 करोड़
▪ टेक्सटाइल – ₹ 4235 करोड़
▪ पेपर सिक्योरिटी – ₹ 743 करोड़
▪ लकड़ी – ₹ 225 करोड़
▪ स्टोन व ग्लास – ₹ 18769 करोड़
▪ छोटे-छोटे सामान जैसे लाइटर, बटन, पेन, कंघी भी चीन से आ रही हैं।
🔹 उत्तर प्रदेश में चीनी निवेश
▪ डबल इंजन सरकार वाले यूपी में चीनी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है।
▪ सवाल : जब विदेशी चीज़ों का विरोध है तो चीन का निवेश क्यों ?
🔹 देश में देसी निर्माण की चुनौतियाँ
▪ बाजार में कैमरा, लाइटर जैसे उत्पादों के देसी विकल्प लगभग नहीं हैं।
▪ MSME सेक्टर को प्रोत्साहन की ज़रूरत है, लेकिन बड़े उद्योगपतियों को प्राथमिकता दी जा रही है।
▪ उदाहरण : चीनी ऐप पर रोक के बाद उसी से जुड़े ऐप्स को अंबानी-अडानी समूह से जोड़ा गया।
🔹 नेताओं के व्यक्तिगत उपभोग में विदेशी चीज़ों का बोलबाला
▪ नेताओं के जूते, घड़ियाँ, चश्मे – 90 % से अधिक विदेशी ब्रांड।
▪ आम जनता से ‘लोकल खरीदो’ कहने वाले खुद विदेशी चीज़ों का प्रयोग कर रहे हैं।
🔹 पर कैपिटा इनकम की सच्चाई
▪ भारत की प्रतिव्यक्ति आय (Per Capita Income) वैश्विक रैंकिंग में बहुत पीछे (50वीं से 70वीं रैंक)।
▪ इनकम असमानता के कारण वास्तविक आमदनी बहुत कम – ₹1000/माह से भी नीचे हो सकती है।
🔹 कथनी और करनी में अंतर
▪ 'स्वदेशी अपनाओ' का संदेश जनमानस के लिए, पर व्यवहार में खुद विदेशी उत्पादों का उपयोग।
▪ अगर प्रधानमंत्री खुद देसी वस्तुओं का प्रयोग करें, तो जनता पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
👉 सुझाव :
अगर वाकई ‘स्वदेशी अपनाओ’ का संदेश प्रभावी बनाना है, तो नेतृत्व को स्वयं से शुरुआत करनी चाहिए।
▪ "गांधी जी ने खादी खुद पहनी थी, तभी वह प्रेरणा बन सके।"
🔹 आम नागरिक की ज़मीनी सच्चाई
▪ आम आदमी, चाहे ₹100 कमाता हो या ₹1 लाख, अपनी जरूरतों और बजट के अनुसार ही बाज़ार से सामान खरीदता है।
▪ ब्रांड या देश देखकर नहीं, बल्कि काम चलाने वाली और सस्ती चीज़ें देखकर खरीदारी करता है।
▪ मोबाइल जैसे रोजमर्रा के उत्पादों में विकल्प लगभग सारे विदेशी ही होते हैं – Samsung, OnePlus, आदि।
🔹 “देसी बनाओ” पर सवाल
▪ मेक इन इंडिया के नाम पर देश में निर्माण कम हुआ है, और बाज़ार विदेशी सामान से भर गया है।
▪ कभी भारत की शान रही HMT जैसी सरकारी कंपनियां योजनाबद्ध ढंग से बंद की गईं।
▪ देश में निर्माण करने वाली देसी कंपनियों को खत्म कर विदेशी कंपनियों को बढ़ावा दिया गया।
🔹 टेरिफ घटा, विदेशी सामान सस्ता हुआ
▪ पहले टेरिफ लगने से विदेशी उत्पाद महंगे होते थे और देसी विकल्प अधिक बिकते थे।
▪ अब टेरिफ कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते किए जा रहे हैं – जैसे अमेरिका और यूके के साथ।
▪ टेरिफ जीरो होने से भारत के बाज़ार में विदेशी वस्तुएं और सस्ती होंगी – देसी उत्पाद प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे।
🔹 सांस्कृतिक व धार्मिक टिप्पणियों पर आलोचना
▪ प्रधानमंत्री द्वारा गणेश जी की आंख को लेकर टिप्पणी को असम्मानजनक बताया गया।
▪ चीन के लोगों के रंगरूप का मज़ाक उड़ाना भी अनुचित माना गया – अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह असंवेदनशीलता दर्शाता है।
🔹 दोहरा मापदंड – खुद विदेशी, जनता से देसी की अपेक्षा
▪ प्रधानमंत्री खुद विदेशी घड़ी, गाड़ी, चश्मा, कपड़े उपयोग करते हैं और जनता को देसी अपनाने की सलाह देते हैं।
▪ अगर वाकई विदेशी सामान से दूरी बनानी है, तो सरकार को खुद नीति बनाकर आयात पर रोक लगानी चाहिए।
🔹 घरेलू उद्योगों का दम घोंटा गया
▪ छोटे उद्योगों पर टैक्स और नियमों की इतनी बंदिशें हैं कि उन्हें चलाना मुश्किल हो गया है।
▪ वहीं विदेश से सामान मंगाना और बेचना आसान बना दिया गया है – जिससे घरेलू उत्पादन घट गया।
▪ अगर छोटे उद्योगों को छूट और सब्सिडी दी जाती, तो भारत आत्मनिर्भर बन सकता था।
🔹 सरकारी परियोजनाओं में विदेशी निर्भरता
▪ रेल के डिब्बों से लेकर पटरियों तक, एयरपोर्ट सुरक्षा से लेकर रक्षा उपकरणों तक – विदेशों पर निर्भरता लगातार बढ़ रही है।
▪ टर्की, इजराइल, फ्रांस (राफेल), जैसी देशों की कंपनियों को प्राथमिकता दी जाती है – भारतीय संस्थानों की उपेक्षा की जाती है।
🔹 गांधी जी का उदाहरण और संदेश
▪ गांधी जी ने जब तक खुद गुड़ खाना नहीं छोड़ा, तब तक किसी को मना नहीं किया।
▪ अगर प्रधानमंत्री सच में चाहते हैं कि जनता देसी चीजें अपनाए – तो उन्हें खुद इसका उदाहरण बनना होगा।
▪ सादगी और आत्मनिर्भरता का संदेश केवल भाषण से नहीं, बल्कि आचरण से प्रभावी होता है।
▪ अंतिम बात :
सरकार अगर देसी उत्पादों को बढ़ावा देना चाहती है तो उसे नीति, व्यवहार और क्रियान्वयन – तीनों स्तर पर गंभीरता दिखानी होगी। वरना केवल मंच से “वोकल फॉर लोकल” बोलकर तालियां बटोरना जनता के साथ छल माना जाएगा।
■■■
✍🏻 लिमेशकुमार जंगम

👍
1