
Dawah & iqra
May 15, 2025 at 06:08 PM
*#575- तकब्बुर एक संगीन गुनाह है जो दोनों जहां में इंसान की हलाकत का सबब बनता है। इस्लाम हमें फ़रोज़ी, हया और दूसरों के साथ अदब व एहतराम से पेश आने की तालीम देता है। बड़ाई सिर्फ़ अल्लाह तआला के लिए है, और एक सच्चे मोमिन को चाहिए कि चाहे उसे जितना भी इल्म, मर्तबा या दौलत मिल जाए, हमेशा ताज्जुब और तकब्बुर से बचते हुए आजिज़ और मुतवाज़ी बना रहे।*
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