Dawah & iqra
Dawah & iqra
May 16, 2025 at 12:00 PM
# *577 – सूरह काहफ़ से सबक:* किसी चीज़ का ठुकराया जाना, कोई नुकसान, या किसी काम में देर — ये हमेशा महरूमी नहीं होती। दरअस्ल, ये अल्लाह तआला की जानिब से एक रहमत और हिफाज़त होती है, ताकि वो हमें किसी बड़ी आज़माइश से बचाए, बेहतर चीज़ अता फ़रमाए और आख़िरत में अज्र से नवाज़े। रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: " *जो शख़्स जुमा के दिन सूरह काहफ़ की तिलावत करता है, उसके लिए अर्श के नीचे से आसमान तक एक नूर पैदा किया जाता है। ये नूर क़यामत के दिन की तारीकियों में उसके लिए रौशनी बन जाएगा।"*
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