
#शुकुलकहिन
June 5, 2025 at 05:07 PM
*Via:@himantabiswa*
राहुल गांधी को यह कहने की हिम्मत कैसे हुई कि माननीय प्रधानमंत्री
@narendramodi
“सरेंडर मोदी” हैं, जबकि #ऑपरेशनसिंदूर जैसी बड़ी सफलता पूरी दुनिया देख चुकी है
आइए राहुल गांधी की याददाश्त थोड़ी ताज़ा कर देते हैं — कौन पार्टी और कौन परिवार भारत के हितों, सीमाओं और जनविश्वास के साथ बार-बार विश्वासघात करता रहा है।
🔻 कांग्रेस की आत्मसमर्पण की विरासत – तथ्य सामने हैं:
📍 1947–48 – पीओके का धोखा:
पं. नेहरू ने कश्मीर युद्ध के बीच में ही सेना को रोककर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र ले गए और आज का पाक अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान को सौंप दिया। एक सैन्य जीत, अंतरराष्ट्रीय दिखावे की वेदी पर कुर्बान कर दी गई।
📍 1962 – अक्साई चिन चीन को बिना लड़े सौंपा:
38,000 वर्ग किमी भारतीय जमीन बिना एक भी गोली चले चीन को दे दी गई।
नेहरू ने तब असम के लिए क्या कहा था?
“मेरा दिल असम के लोगों के लिए दुखी है।”
यह नेतृत्व था या आत्मसमर्पण? पूरा उत्तर-पूर्व संकट में था।
📍 1972 – युद्ध के बाद का आत्मसमर्पण:
1971 युद्ध में भारत के पास 93,000 पाकिस्तानी सैनिक बंदी थे। फिर भी इंदिरा गांधी ने न पीओके वापस लिया, न कोई मुआवजा माँगा।
इतिहास की सबसे बड़ी सैन्य जीत को कूटनीतिक हार में बदल दिया गया।
📍 1995 – अमेरिका के दबाव में परमाणु परीक्षण टाला:
देश तैयार था, वैज्ञानिक तैयार थे — लेकिन कांग्रेस ने परमाणु परीक्षण अमेरिका के डर से रोक दिया।
फिर 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को परमाणु शक्ति राष्ट्र बनाया।
📍 2008 – 26/11 के बाद शून्य प्रतिक्रिया:
पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में 166 निर्दोष भारतीयों को मार डाला।
फिर क्या किया कांग्रेस ने?
न कोई बदला, न कोई कार्रवाई, सिर्फ चुप्पी और कायरता।
📍 2009 – शर्म-अल-शेख समझौता:
यूपीए सरकार ने पाकिस्तान के झूठे बलूचिस्तान के दावे को संयुक्त बयान में शामिल कर आईएसआई के एजेंडे को अंतरराष्ट्रीय वैधता दे दी।
📍 2012 – सर क्रीक सौंपने की साजिश:
यूपीए सरकार ने रणनीतिक सर क्रीक क्षेत्र पाकिस्तान को देने की पूरी तैयारी कर ली थी, परन्तु गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका पर्दाफाश कर साजिश नाकाम कर दी।
📍 Track-2 विश्वासघात:
कश्मीर पर गुप्त वार्ताएं, सीमाओं को ‘लचीला’ बनाने की चालें — जनता से छिपाकर पाकिस्तान को मनाने की शर्मनाक कोशिशें।
📍 चीन की घुसपैठ पर मौन:
Depsang, अरुणाचल, चुमार — चीन बार-बार हमारी सीमा में घुसा, और कांग्रेस चुप रही। न संसद में जवाब, न सीमा पर प्रतिक्रिया।
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❌ और अब यही कांग्रेस, सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध करती है, बालाकोट पर सवाल उठाती है, सेना को बदनाम करती है, और विदेशी प्रोपेगेंडा देश में फैलाती है।
और ऐसे मजबूत, निर्णायक प्रधानमंत्री को “सरेंडर मोदी” कहती है?
🛑 सच यह है — कांग्रेस ने केवल ज़मीन नहीं, भारत की गरिमा, सुरक्षा और संप्रभुता का भी आत्मसमर्पण किया।
➡️ 1971 के बाद भी 9 भारतीय युद्धबंदियों को वापस नहीं ला सके।
➡️ असम को “चिकन नेक” पर लटकने को छोड़ दिया।
➡️ 1962 में नेहरू चीन को असम सौंपने को तैयार थे।
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🇮🇳 लेकिन वह युग अब खत्म हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब माफ़ी नहीं मांगता — कार्रवाई करता है।
उरी में जवाब देता है, बालाकोट में घुसकर मारता है, गलवान में पीछे नहीं हटता और दुनिया में नेतृत्व करता है।
अब भारत शक्ति की भाषा बोलता है — समर्पण की नहीं।
कांग्रेस को अपनी कायरता का बोझ दूसरे के कंधों पर डालना बंद करना चाहिए।
भारत को सब याद है। भारत उठ चुका है। और भारत अब कभी झुकेगा नहीं।