Ai Imaan Walon Allah Se Daro 😔
Ai Imaan Walon Allah Se Daro 😔
May 16, 2025 at 03:08 AM
*हदीस* - मौला अली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है फरमाया रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने कि क़ुर्बे क़यामत की निशानियों में से है जब तुम देखो कि ! नमाज़ों को ज़ाया किया जाए ! अमानत को रायगां कर दिया जाए ! कबीरा गुनाहों को हलाल ठहराया जाए ! सूद खोरी की जाए ! रिश्वत ली जाए ! मकान ऊंचे और पुख्ता बनाये जाएं ! नाजायज़ ख्वाहिशों की तकमील की जाए ! दीन को दुनिया के बदले बेचा जाए ! क़ुर्आन को गाने की तरह पढ़ा जाए ! दरिंदों की खालों को बतौर ज़ैन इस्तेमाल किया जाए ! मस्जिदों को रास्ता बनाया जाए ! मर्द रेशम का लिबास पहने ! ज़ुल्म हद से बढ़ जाए ! ज़िना की कसरत हो जाए ! तलाक़ को खेल बनाया जाए ! अमीन को खाइन ठहराया जाए ! खाइन को अमानतदार समझा जाए ! बारिश कम हो जाए ! औलाद दिल की घुटन बन जाए ! बड़े ओहदों पर वो बैठे जो उसके लायक़ ना हों ! उल्मा पैसों के लिए अमीरों की चाकरी करें ! क़ारियों की कसरत हो ! फुक़्हा की किल्लत हो जाए ! क़ुर्आन पर सोने चांदी के गिलाफ चढ़ाये जाएं ! मस्जिदें सजाई जाए ! दिल फासिद हो जाएं ! लोग गाने वालियां रखें ! ढोल बाजे हलाल किये जाएं ! शराब पी जाए ! अल्लाह के हुक्म को तोड़ा जाए ! महीने घट जाएं ! वादा खिलाफी आम हो जाए ! औरत और मर्द शरीके तिजारत हों ! औरतें घोड़ों पर बैठे ! औरत मर्द से और मर्द औरत से मुशाबहत रखे ! गैरुल्लाह की कसम खाई जाए ! आदमी बग़ैर गवाह हुये गवाही दे ! ज़कात बोझ बन जाए ! अमानत माले गनीमत हो जाए ! मर्द अपनी बीवी की इताअत करे ! मां बाप की नाफरमानी करे ! मां बाप को अपने से दूर रखे ! ओहदों को जायदाद की तरह बाटा जाए ! गुज़रे हुए लोगों को गालियां दी जाएं ! आदमी की इज़्ज़त उसके डर से की जाए ! सिपाहियों की कसरत हो ! जाहिल मेम्बर पर बैठे ! मर्द ताज पहने ! रास्तों की क़िल्लत हो जाए ! मर्द मर्द के साथ और औरत औरत के साथ सोहबत करे ! उल्मा मन चाहा फतवा दें ! दुनिया के लिए इल्मे दीन हासिल किया जाए ! माल पर शरीरों का क़ब्ज़ा हो जाए ! क़ुर्आन को तिजारत बनाया जाए ! रिश्तों को काटा जाए ! जुआ आम हो जाए ! मोहताजों को ज़कात ना दी जाए ! बेगुनाहों का कत्ल आम हो जाए ! नाप-तौल में कमी की जाए तो इंतज़ार करो उस चिंघाड का जो तुम्हारे दिल को दहला दे *📕 कंज़ुल उम्माल,जिल्द 14 सफह 573-574* *अलामते क़यामत में हर अलामत नाजायज़ नहीं है जैसे कि मकान ऊंचे और पुख्ता बनाये जायें,क़ुर्आन पर सोने चांदी के गिलाफ चढ़ाये जायें,मस्जिदें सजाई जाये ये वो अलामत है जो क़यामत कि निशानी तो है मगर नाजायज़ नहीं,इसी तरह एक msg अक्सर घूमता रहता है कि क़यामत की निशानी है कि लोग अपने हाथों से क़ुर्आन को मिटायेंगे और ऐसे msg ना भेजने की अपील की जाती है,पहला तो ये कि क़यामत की निशानी ये बताई गई है कि क़ुर्आन के हुरूफ उड़ जायेंगे ना कि लोग अपने हाथ से मिटायेंगे और दूसरा ये कि अगर मान भी लिया जाये कि ऐसा फरमाया गया तब भी वो नाजायज़ फेअल नहीं होगा क्योंकि ये मिटाना तो हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के ज़माने मुबारक से चल रहा है,जब हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम पर क़ुर्आन उतरता तो सहाबा उसे पत्तो पर हड्डियों पर चमड़े के गिलाफों पर लिख लिया करते और बाद में किसी और जगह महफ़ूज़ करके उसे मिटा देते और ये दस्तूर तो आज भी दुनिया के तमाम इस्लामी मदारिस में बा आसानी देखा जा सकता है कि उस्ताज़ बच्चों को पढ़ाते हुए अक्सर ब्लैक बोर्ड पर क़ुर्आन की आयतें लिखते हैं और बाद में उसे मिटा देते हैं तो क्या वो सब गुनाह करते हैं नहीं और बिलकुल नहीं,एक मुसलमान को वो मिलता है जिसकी उसने नियत की हो तो कोई मुसलमान हरगिज़ हरगिज़ क़ुर्आन को इस नियत से नहीं मिटाता कि ये अल्लाह का कलाम है और मैं इसे मिटा दूं तो ये मिट जायेगा माज़ अल्लाह बल्कि सिर्फ इसलिए डिलीट करता है कि उसकी मेमोरी फुल हो जाती है और इस मिटाने पर कोई गुनाह नहीं,इस पर हुज़ूर ताजुश्शरीया का फतवा आ चुका है लिहाज़ा ऐसे msg को ना तो पढ़ा जाये और ना ही आगे शेयर किया जाये*|| Send Forward ⏩ : https://chat.whatsapp.com/BrgvvX2MUaPG7S9Wbl01Xl
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