
Ai Imaan Walon Allah Se Daro 😔
May 19, 2025 at 03:08 AM
*✍️ क्या मां का दूध बख़्शवाना ज़रूरी है ?*
बहुत सारी जगहों में देखा गया है जब किसी की माँ का मौत का वक़्त क़रीब आता है या किसी की मां हज को जा रही होती हैं तो लोग उनके औलादों को कहते हैं कि मां से दूध बख़्शवाना ज़रूरी है लिहाज़ा मौत से पहले दूध बख़्शवा लो। माँ के मौत के वक़्त घर वाले ग़म में होते हैं तकलीफ़ मे होते हैं उनको कुछ समझ में नहीं आ रहा होता है कि क्या करें क्या ना करें इसलिए लोग जो कहते हैं बेचारे परेशानी के आलम में वही करते चले जाते हैं और आम ओ ख़ास लोगों को देखा गया कि वो उनके औलादों को ज़ोर देते हुए कहते हैं दूध बख़्शवा लो।
*बहरूल उ़लूम हुज़ूर मुफ्ती अ़ब्दुल मन्नान साहब क़िब्ला अ़लैहिर्रहमा तहरीर फरमाते हैं।* कि शरीअ़त में दूध पिलाने वाली का दूध पीने वाले पर कोई मुतालबा नहीं इसलिए दूध बख़्शवाना कोई शरई़ हुक्म नहीं इसके अ़लावा भी औलाद पर मां के बेशुमार हुक़ूक़ हैं। इंतक़ाल के बाद हुक़ूक़ की अदायगी की यही सूरत है कि उनके हक़ में दुआ़-ए ख़ैर और उनके लिए ईसाले सवाब करे।
*▪️(फतावा बहरुल उलूम जिल्द 2 सफा 79)*
मां से दूध बख़्शवाने को ज़रूरी समझना जाहिलाना ख़्याल है क्योंकि अपने बच्चों को दूध पिलाना मां का हक़ है तो माएं दूध पिला कर अपना हक़ अदा करती हैं ना ये कि बच्चों पर क़र्ज़ का बोझ डालती हैं। अलबत्ता बच्चा पर यह उनका एहसान है कि जिस की वजह से अल्लाह ने उनका मर्तबा बहुत ऊंचा कर दिया है। और औलाद को भी हुस्ने सुलूक का हुक्म दिया है।
*▪️(माह नामा कंज़ुल इमान दिल्ली सफा 18 मार्च 2015)*
*औलाद अगर सारी उमर मां के पाऊं धोकर पीती रहे तब भी मां का हक़ अदा नहीं कर पाएगी शरीअ़त में मां बाप का हक़ बहुत बड़ा है।*
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