
Daily Vivekananda
June 13, 2025 at 12:54 AM
'बद्ध स्वभाव मनुष्य ही दूसरों को बद्ध देखता है, भ्रान्त व्यक्ति ही दूसरों को भ्रान्त देखता है, अशुद्धस्वभाव व्यक्ति ही दूसरों को अशुद्ध देखता है।'
-- स्वामी विवेकानन्द
{वि.सा. ७ : देववाणी - २८ जुलाई, रविवार - दत्तात्रेयकृत अवधूत-गीता}
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