हिंदी शायरियां
June 12, 2025 at 09:35 AM
एकाकी क्षण में दिशाहारा मन कभी पुकार ले नाम भूले से
एक आवाज दे कर मेरे मन में उठे हिलोरे को ठहराव देना
अनधिकृत ख्वाहिशें कभी शौख से सजा लूं इन आंखों में
बेहया समझकर मुझे अपने नजरों से गिरा ना देना
किसी अंजान राहों में कभी मिल जाए दोनों इत्तेफाक से
गर अधरों के थरथराहट रोके कंठ स्वर पर प्यार भरी निगाहों से निहार लेना
तुम्हारे बदन की महकती खुशबू से होकर बेसुध मेरा मन फिर चाहे छूना तुम्हे
मालूम है हमें मंजूरी नहीं देगा हमारे बीच है जो फासले
मगर मेरे अगोचर मन के जज्बात महसूस कर के
कुछ पल पास ठहर जाने के सबब ढूंढ लेना ।
❤️
👍
😢
😮
😂
🙏
27