Bhakti Se Bhagwan Tak
Bhakti Se Bhagwan Tak
June 1, 2025 at 11:58 AM
कमल पर प्राकट्य: परमेश्वर कबीर साहेब की अलौकिक लीलाएँ एवं 2025 का ऐतिहासिक महासमागम कमल के फूल पर बालक रूप में प्रकट हुए परमेश्वर कबीर: कबीर साहेब की आलौकिक लीलाएँ एवं 2025 का ऐतिहासिक महा समागम ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक हो दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया। 628वें कबीर साहेब प्रकट दिवस पर परम पूज्य संत रामपाल जी महाराज जी के सान्निध्य में 9, 10, 11 जून 2025 को विशेष तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आज से लगभग 628 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर जी काशी के सुप्रसिद्ध लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर सशरीर प्रकट हुए। जैसा कि परमेश्वर का विधान है कि वह प्रत्येक युग में लीला करने के लिए इस धरा पर अवतरित होते हैं, उसी के अनुरूप कलयुग में परमात्मा नि:संतान मुसलमान दंपत्ति नीरु और नीमा को प्राप्त हुए। इसी पावन उपलक्ष्य में 9, 10 व 11 जून 2025 को नेपाल सहित भारत के 11 सतलोक आश्रमों में भव्य महासमागम का आयोजन किया जा रहा है। तीन दिवसीय इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की तैयारियाँ ज़ोरों से चल रही हैं। इस शुभ अवसर पर रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह, नेत्र व दंत जांच शिविर, विशाल भंडारा, सत्संग, संत गरीबदास जी महाराज की अमरवाणी का अखंड पाठ और भव्य आध्यात्मिक प्रदर्शनी जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कमल पर अवतरित परमेश्वर कबीर साहेब: एक दिव्य घटना 15वीं सदी के महानतम संत, कबीर परमेश्वर जी का प्रकाट्य सन 1398 (विक्रमी संवत् 1455), ज्येष्ठ पूर्णिमा को प्रातःकालीन ब्रह्म मुहूर्त में लहरतारा तालाब (काशी) में कमल के फूल पर हुआ। यह कोई साधारण लीला नहीं थी, बल्कि परमात्मा स्वयं सतलोक से पृथ्वी पर सशरीर अवतरित हुए थे। उस समय अष्टानंद नामक एक ऋषि, जो संत रामानंद जी के शिष्य थे, सरोवर में स्नान कर साधना कर रहे थे। उन्होंने आकाश से उतरते एक तेजस्वी प्रकाशपुंज को देखा जो कमल के फूल पर आकर सिमट गया, जिससे उनकी आंखें बंद हो गईं। दिव्य दृष्टि में उन्हें एक सुंदर शिशु दिखाई दिया। जब उन्होंने आंखें खोलीं, तो वह प्रकाश कमल के फूल पर समा गया और वही दिव्य शिशु वहाँ विद्यमान था। ऋषि अष्टानंद यह चमत्कार देखकर तुरंत अपने गुरु रामानंद जी के पास पहुंचे और सारी घटना सुनाई। संत रामानंद जी ने समझाया कि कोई दिव्य आत्मा, कोई अवतारी पुरुष धरती पर आया है। उनका अनुमान था कि वह किसी भाग्यशाली माता के गर्भ से जन्म लेंगे, क्योंकि अब तक यही परंपरा रही थी। लेकिन इस बार कबीर परमेश्वर जी ने स्वयं अपने विधान से, कमल के फूल पर सशरीर प्रकट होकर यह स्पष्ट कर दिया कि वे सामान्य आत्मा नहीं, पूर्ण परमात्मा हैं। कबीर साहेब जी की शिक्षाएँ और समाज में योगदान वेदों में वर्णित है कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब पूर्ण परमात्मा किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं। उनका उद्देश्य तत्वज्ञान व शास्त्रानुकूल साधना को पुनः स्थापित करना होता है। बाल्यकाल से ही कबीर साहेब जी ने कर्मकांड, मूर्ति पूजा, तंत्र-मंत्र और आडंबर का खंडन करते हुए तत्वज्ञान को जन-जन तक पहुँचाया। उन्होंने जात-पात और धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर सभी को प्रेम, समानता और भक्ति का मार्ग दिखाया। काशी में उन्होंने 120 वर्षों तक जुलाहे की भूमिका में रहते हुए समाज को यह संदेश दिया कि परमात्मा कोई जाति या वर्ण विशेष में बंधा नहीं होता। उनका जीवन समाज-सुधारक और तत्वदर्शी संत के रूप में प्रकाशमान रहा। कबीर साहेब जी ने कहा, "ना काशी में मरण से मुक्ति, ना गंगा नहाने से परमगति। संत की शरण मिले जो प्यारे, वही भवसागर से उतरे।" मगहर में वर्षा की लीला: दिव्यता की पहचान दी एक समय जब मगहर क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा, तब वहाँ के नवाब बिजली खां पठान ने संतों की खोज की। बताया गया कि कबीर साहेब ही संकट निवारण कर सकते हैं। नवाब ने विनती की, “हे प्रभु! हमारे क्षेत्र पर कोई भयंकर पाप छाया हुआ है, जिससे बारिश नहीं हो रही। कृपा करें।” कबीर साहेब जी मगहर पहुँचे और सूखी जोहड़ी के पास बैठ गए। उसी समय गोरखनाथ जी भी वहाँ पहुँचे। कबीर जी ने नवाब से कहा, “गोरखनाथ जी से प्रार्थना करो। वे बड़े सिद्ध पुरुष हैं।” गोरखनाथ जी ने त्रिशूल से ज़मीन फोड़ी, जिससे पानी निकला, लेकिन केवल वह पानी पर्याप्त नहीं था। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के पापों के कारण यहाँ दो वर्ष तक वर्षा नहीं हो सकती। तब कबीर परमेश्वर जी ने अपने परम तेज और कृपा से वर्षा का संयोग बनाया और वहां झमाझम बारिश होने लगी। जलाशय, नदी-नाले सब भर गए। यह चमत्कार देखकर स्वयं गोरखनाथ जी ने भी कबीर साहेब की शक्ति को स्वीकार किया। इस प्रकार कबीर परमेश्वर जी ने अपने जीवन में अनेक चमत्कारिक लीलाएँ कीं और समाज को दोहे, चौपाइयाँ, वाणियों और सतसाहित्य के माध्यम से दिव्य ज्ञान प्रदान किया। उनकी शिक्षाएँ आज भी सत्य, श्रद्धा और सच्ची भक्ति का पथ दिखलाती हैं। पूरे विश्व को आमंत्रण: एक अलौकिक अनुभव कबीर साहेब जी प्रकट दिवस के शुभ अवसर पर आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क बस सेवा, पार्किंग सुविधा, जूताघर, मेडिकल व्यवस्था, स्नानघर, वृद्ध एवं विकलांगों के लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था, पुस्तकालय तथा शुद्ध देसी घी से बने विशाल भंडारे की व्यवस्था की गई है। इस महा समागम में पूरे विश्व से श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया गया है, जिसमें संत रामपाल जी महाराज जी के समस्त अनुयायी सेवा हेतु दिन-रात समर्पित रहेंगे। आप सभी से करबद्ध निवेदन है कि अपने परिवार, मित्रों और पड़ोसियों सहित इस पावन अवसर पर अवश्य आएं और भक्ति का लाभ उठाएं। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में सम्मिलित प्रमुख आयोजन इस प्रकार हैं: •संत गरीबदास जी महाराज के सतग्रंथ साहेब का अखंड पाठ °विशाल भंडारा •रक्तदान शिविर •नि:शुल्क नेत्र एवं दंत जांच शिविर •दहेज मुक्त विवाह •भव्य आध्यात्मिक प्रदर्शनी •विशेष सत्संग कार्यक्रम स्थल – 12 सतलोक आश्रम 1. सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली) 2. सतलोक आश्रम धनाना (हरियाणा) 3. सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा) 4. सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा) 5. सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब) 6. सतलोक आश्रम खमाणों (पंजाब) 7. सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान) 8. सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश) 9. सतलोक आश्रम बैतूल (मध्य प्रदेश) 10. सतलोक आश्रम इंदौर (मध्य प्रदेश) 11. सतलोक आश्रम धवलपुरी (महाराष्ट्र) 12. सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल) कार्यक्रम का सीधा प्रसारण 11 जून 2025 को प्रातः 09:15 बजे (IST) साधना टीवी चैनल एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किया जाएगा। ■ Facebook page: Spiritual Leader Saint Rampal Ji ■ YouTube: Sant Rampal Ji Maharaj ■ Twitter (X): @SainRampalJiM संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें ⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry

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