
Bhakti Se Bhagwan Tak
June 9, 2025 at 09:59 AM
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।
यह कोई साधारण पंक्तियां नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए एक जीवन-दर्शन है जिसे संत रामपाल जी महाराज अपने शिष्यों के जीवन में उतारने के लिए निरंतर प्रेरित करते हैं। उनके अनुसार, मानव सेवा ही परम धर्म है, और रक्तदान और देहदान इसकी एक श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति है।
मानव सेवा: एक सच्चे धर्म का स्वरूप
संत रामपाल जी महाराज यह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च जाना तब तक व्यर्थ है, जब तक कोई व्यक्ति ज़रूरतमंद की मदद नहीं करता। केवल पूजा-पाठ करने से ईश्वर प्रसन्न नहीं होते, बल्कि जब कोई व्यक्ति किसी की जान बचाता है, किसी की पीड़ा को कम करता है, तब वह वास्तविक रूप से धर्म का पालन करता है। इसी भावना को केंद्र में रखकर उनके शिष्य निस्वार्थ भाव से रक्तदान और देहदान जैसे सेवाभाव में जुटे रहते हैं।
रक्तदान शिविर: जीवन बचाने का आध्यात्मिक माध्यम भी
संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी नियमित रूप से देशभर में रक्तदान शिविरों का आयोजन करते हैं, जिनमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल होते हैं। ये शिविर केवल स्वास्थ्य सेवा नहीं बल्कि ईश्वर की सेवा माने जाते हैं, क्योंकि किसी अनजान व्यक्ति को रक्त देकर उसका जीवन बचाना, निस्संदेह परमात्मा की इच्छा के अनुरूप कार्य है। इन शिविरों में कोई दिखावा नहीं होता, केवल परमार्थ की भावना से सेवा की जाती है। इन रक्तदान शिविरों की विशेषता यह भी है कि इसमें भाग लेने वाले सभी अनुयायी पूर्णतः नशामुक्त जीवन जीते हैं, जिससे रक्त की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है।
सतलोक आश्रमों में विशाल आयोजन
संत रामपाल जी महाराज जी के मार्गदर्शन में पूरे भारत में 12 सतलोक आश्रम संचालित हो रहे हैं। यह स्थान न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का केंद्र हैं, बल्कि सामाजिक उत्थान की गतिविधियों के भी मुख्य स्थल बन चुके हैं। यहां समय-समय पर नेत्र जांच, दंत चिकित्सा जांच, निःशुल्क दवा वितरण और रक्तदान शिविरों, देहदान संकल्प का आयोजन होता है। सतलोक आश्रमों में सेवा भाव का वातावरण ऐसा होता है कि वहाँ पहुँचकर व्यक्ति केवल भक्ति की भावना से प्रेरित होता है। यही कारण है कि यहां हर आयोजन समाज के लिए प्रेरणा बनता है।
परमार्थ की भावना: निस्वार्थ सेवा
रक्तदान को संत रामपाल महाराज जी केवल "दान" नहीं, बल्कि परमार्थ मानते हैं यानी निस्वार्थ भाव से की गई सेवा। यह सेवा तब और भी महान हो जाती है, जब किसी को बिना जान-पहचान के केवल मानवता के नाम पर जीवनदान दिया जाए।
628वां कबीर प्रकट दिवस 2025: एक दिव्य आयोजन
9, 10 और 11 जून 2025 को संत रामपाल जी महाराज जी के भारत और नेपाल सहित 12 सतलोक आश्रमों में 628वां कबीर साहेब प्रकट दिवस श्रद्धा, भक्ति और सेवा भाव से मनाया जाएगा। यह आयोजन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणा भी है। सभी सतलोक आश्रमों में तीनों दिन महा समागम, विशाल भंडारा, गरीबदास जी महाराज जी की अमृतवाणी का अखंड पाठ, दहेज मुक्त रमैनी विवाह, आध्यात्मिक प्रदर्शनी, दंत चिकित्सा शिविर, नेत्र जांच शिविर, फर्स्ट एड की सुविधा 24×7 समय उपलब्ध रहेगी।
कबीर साहेब जी प्रकट दिवस के पावन अवसर पर 10 जून को विभिन्न सतलोक आश्रमों में विशाल रक्तदान और देहदान शिविरों का आयोजन किया जाएगा। इसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्वेच्छा से रक्तदान करेंगे और देहदान हेतु संकल्प पत्र भरेंगे। यह आयोजन न केवल देश के अस्पतालों में रक्त की आवश्यकता को पूरा करेगा, बल्कि समाज में सेवा, सहानुभूति और करुणा जैसे मूल्यों को भी प्रोत्साहित करेगा।
देहदान: मृत्यु के बाद भी मानव सेवा
संत रामपाल जी के अनुयायी न केवल जीवन में, बल्कि मृत्यु के बाद भी मानव सेवा का संकल्प लेते हैं। देहदान का अर्थ है शरीर को चिकित्सा शिक्षा या जरूरतमंदों के लिए समर्पित करना, जिससे अनेक जिंदगियां बेहतर हो सकें। इस हेतु सतलोक आश्रम में देहदान संकल्प-पत्र भरे जाते हैं और इससे जुड़ी आवश्यक कानूनी प्रक्रिया में सहयोग भी दिया जाता है। देहदान को मृत्यु के बाद की सेवा माना जाता है, जिसमें शरीर को स्वाहा करने की बजाय किसी मेडिकल छात्र के प्रयोग में दिया जाता है, या शरीर के कुछ अंग किसी ज़रूरतमंद को जीवन जीने का नया अवसर देते हैं। यह सच्ची मानवता और त्याग की भावना का प्रतीक है।
आपका एक क़दम — अनगिनत ज़िंदगियों की रक्षा
यदि आप भी मानते हैं कि किसी के जीवन को बचाना सबसे बड़ा पुण्य है, तो इस बार 628वें कबीर प्रकट दिवस पर अपने जीवन को एक नई दिशा दीजिए। संत रामपाल जी महाराज जी के मार्गदर्शन में होने वाले समागम में और आयोजित होने वाले रक्तदान और देहदान शिविरों में सम्मिलित होकर आप भी इस नेक कार्य का हिस्सा बन सकते हैं, जो न केवल एक ज़रूरतमंद को जीवन देता है, बल्कि समाज में सहयोग, करुणा और मानवता की मिसाल भी बनाता है।
रक्त की एक एक बूंद किसी माँ की गोद को सूना होने से बचा सकती है, किसी मरीज़ को जीवनदान दे सकती है और यही वह कार्य है जो ईश्वर की सच्ची भक्ति का प्रमाण बनता है। संत रामपाल जी के अनुयायी यही सिखाते हैं कि सेवा ही साधना है, परोपकार ही पूजा है।
यही नहीं, देहदान द्वारा मृत्यु के पश्चात भी आप समाज के लिए उपयोगी बन सकते हैं। अपने शरीर को चिकित्सा शिक्षा या ज़रूरतमंदों के लिए समर्पित कर आप आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बेहतर बना सकते हैं। सतलोक आश्रमों में यह प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी मार्गदर्शन और आध्यात्मिक उद्देश्य के साथ की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हर संकल्प ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूर्ण हो। सच्चा धर्म वही है जो जीव की रक्षा करे, और वही भक्ति पूर्ण है जो परहित में लगे। आपका एक छोटा-सा निर्णय किसी के लिए नई ज़िंदगी की शुरुआत बन सकता है।
628वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के अवसर पर कार्यक्रम
628वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के अवसर पर 9-10-11 जून 2025 को परम पूज्य संत रामपाल जी महाराज के पावन सान्निध्य में तीन दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम में निम्न कार्यक्रम होंगे:
• संत गरीबदास जी महाराज के सतग्रंथ साहेब जी का अखंड पाठ
• विशाल भंडारा
• रक्तदान शिविर
• निःशुल्क नेत्र एवं दंत जांच शिविर
• दहेज मुक्त विवाह
• आध्यात्मिक प्रदर्शनी
• विशेष सत्संग
आप सभी श्रद्धालुओं को परिवार और मित्रों सहित सादर आमंत्रित किया जाता है।
कार्यक्रम स्थल:
• सतलोक आश्रम मुंडका (दिल्ली)
• सतलोक आश्रम धनाना (हरियाणा)
• सतलोक आश्रम कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
• सतलोक आश्रम भिवानी (हरियाणा)
• सतलोक आश्रम धुरी (पंजाब)
• सतलोक आश्रम खमाणों (पंजाब)
• सतलोक आश्रम सोजत (राजस्थान)
• सतलोक आश्रम शामली (उत्तर प्रदेश)
• सतलोक आश्रम बैतूल (मध्य प्रदेश)
• सतलोक आश्रम इंदौर (मध्य प्रदेश)
• सतलोक आश्रम धवलपुरी (महाराष्ट्र)
• सतलोक आश्रम जनकपुर (नेपाल)
इस भव्य आध्यात्मिक सत्संग का सीधा प्रसारण
11 जून 2025 को प्रातः 09:15 बजे (भारतीय समयानुसार)
साधना टीवी चैनल पर किया जाएगा।
आप इस विशेष कार्यक्रम का सीधा प्रसारण हमारे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी देख सकते हैं:
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