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June 7, 2025 at 01:16 AM
*👉Amrit Vele Da Hukamnama Sri Darbar Sahib, Amritsar, Date* 07-06-2025 Ang 719
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टोडी बाणी भगतां की ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ कोई बोलै निरवा कोई बोलै दूरि ॥ जल की माछुली चरै खजूरि ॥१॥ कांइ रे बकबादु लाइओ ॥ जिनि हरि पाइओ तिनहि छपाइओ ॥१॥ रहाउ ॥ पंडितु होइ कै बेदु बखानै ॥ मूरखु नामदेउ रामहि जानै ॥२॥१॥
अर्थ :-कोई मनुख कहता है (परमात्मा हमारे ) करीब (बसता है), कोई कहता है (भगवान हमसे से कहीं) दूर (और जगह है); (पर केवल बहिस के साथ निर्णय कर लेना इस प्रकार ही असंभव है जैसे) पानी में रहने वाली मछली खजूर पर चड़ने का यतन करे (जिसके ऊपर मनुख भी बड़े कठिन हो के चड़ते हैं) ।1 । हे भाई ! (रब करीब है कि दूर इस बारे अपनी शिक्षा का विखावा करने के लिए) क्यों व्यर्थ बहिस करते हो ? जिस मनुख ने भगवान को खोज लिया है उस ने (अपने आप को) छुपाया है (भावार्थ, वह इन बहसों के द्वारा अपनी विद्या का ढंढोरा नहीं देता पीटता ) ।1 ।रहाउ । विद्या हासिल कर के (ब्राहमण आदि तो) वेद (आदि धर्म-पुस्तकों) की विसथार के साथ चर्चा करता घूमता है, पर मूर्ख नामदेव सिर्फ परमात्मा को ही पहचानता है (केवल भगवान के साथ ही उस के सुमिरन के द्वारा साँझ पाता है) ।2 ।1 । शब्द का भावार्थ :-विद्या के बल के साथ परमात्मा की हस्ती के बारे बहिस करनी व्यर्थ उधम है; उस की भक्ति करना ही जिंदगी का सही मार्ग है ।1 ।
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