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June 5, 2025 at 11:04 AM
*अ़रफा़ का रोजा़*
सहा़बा रज़ियल्लाहु अ़न्हुम अपने बच्चों को बड़े मौक़ों (जैसे अ़रफ़ह, आ़शूरा) पर रोज़े रखवाते थे; ताकि वह ताअ़त (इता'अ़त) और अल्लाह के शआ़इर की तअ़्ज़ीम की आ़दत डालें, और नेकी की रहनुमाई का सवाब हा़सिल करें।
और रोज़ा-ए-अ़रफा दो साल के गुनाहों का कफ़्फ़ारा बनता है।
और सई़द बिन जु़बैर रह. ने फ़रमाया:
"अपने ख़ादिमों (और बच्चों) को जगाया करो ताकि वह अ़रफ़ह के रोज़े की सेह़री खा लें।"
[अस-सुनन अल-कुबरा लिल-बैहक़ी: ४/२८०]
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