STAND BPSC
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June 1, 2025 at 12:52 PM
मामला तूल पकड़ गया था। चुनाव के समय हिंदू-मुस्लिम मुद्दा उठना जैसे अनिवार्य हो गया है। मैंने तब भी कहा था कि यह मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खारिज होना स्वाभाविक है। मैंने उस समय यह भी स्पष्ट किया था कि जिस तरह हिंदू लड़कियां ओढ़नी या दुपट्टा लेकर कॉलेज जाती हैं, उसी तरह मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनती हैं। अब अगर आप किसी लड़की से कहें कि "दुपट्टा वाली को बैन करो", "सिंदूर लगाने वाली को बैन करो", या "हिजाब वाली को बैन करो" — तो यह मानसिक उत्पीड़न जैसा होगा। मेरा मानना था और है कि ड्रेस कोड का अर्थ यह नहीं होना चाहिए कि सबका पहनावा एक जैसा हो, बल्कि यह होना चाहिए कि सभी के कपड़ों का रंग/थीम एक समान हो। चाहे वह हिजाब हो या दुपट्टा — जब तक वह निर्धारित रंग में है, वह ड्रेस कोड का उल्लंघन नहीं करता।
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