
The Unbreakable Voice
May 30, 2025 at 09:08 AM
विडंबना देखिए। दुनिया में हमारे सारे प्रयास कुछ इस तरह के ही हैं कि हम कभी अपनी मर्जी के मालिक नहीं हो पाते। अच्छे खासी नौकरियां कर रहे लोग अपना दिन अपने तरह से नहीं मैनेज कर रहे । उनके दिन , उनकी रातें, उनकी यात्राएं और यहां तक कि उनके सपने भी औरों के जरिए नियंत्रित हैं। मुश्किल से मिली इस जिंदगी के तयशुदा साल का एक बड़ा हिस्सा ऐसे जी रहे हैं , जिस पर उनका नियंत्रण नहीं। मनुष्य का पहला प्रयास होना चाहिए काम से मुक्ति। इसका मतलब पड़े रहना नहीं है बल्कि मन माफिक अपना काम चुनने, अपने दिन मैनेज करने , अपनी यात्राएं अपनी तरह से करने की आजादी। तब हम कह सकेंगे कि हम मनुष्य हैं । इसके लिए आर्थिक आजादी एक मिशन के तौर पर पकड़नी होगी , उद्यम करने होंगे और सबसे बड़ी बात कॉर्पोरेट से मिली आलीशान जिंदगी के न होने के डर से मुक्ति।।
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