
Sri Pundrik
June 8, 2025 at 02:38 AM
Pundrik Ji Sutra 8/6/2025
Radharamano Vijayate
Hindi ---
जो ब्रह्मवेत्ता महापुरुष होता है वो अंतरमुखी होता है। और उसके द्वारा स्वाभाविक है कि वो कई बार व्यवहार में चूक कर जाय। अंतरमुखी महापुरुष अपनी अंतरचेतना में है। प्रज्ञावान महापुरुष अपने संवाद में होता है। कई बार ऐसा देखा गया किसी संत को प्रणाम् किया उसने देखा नहीं तो लोग बुरा मान जाते हैं। न... न...
सच कहूँ अगर तुमने प्रणाम् किया और उसने नहीं देखा तो समझना तुमने सबसे सही समय प्रणाम् किया और मौके पर चौका मार दिया है। क्योंकि उस समय वो तुम्हें नहीं देख रहा था वो उस समय श्रीकृष्ण को देख रहा था। और उस समय किया गया प्रणाम् सीधा गोपाल तक पहुँच गया।
वो अपनी अंतश्चेतना में था। व्यवहार में नहीं था पर अध्यात्म के शिखर पर चढ़ा हुआ था। कई बार होता है- अच्छा ! आप आए थे हमने देखा नहीं। तो कई व्यवहारिक लोग बुरा मान जाते हैं- हम इतनी दूर से चलकर आए और हम यहाँ बैठे आपने मुड़कर भी नहीं देखा... such a rude man. न... न... वो rude नहीं है वो deep है। वो अंतश्चेतना में है।
।।परमाराध्य पूज्य श्रीमन माध्व गोडेशवर वैष्णवआचार्य श्री पुंडरीक गोस्वामी जी महराज ||
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