
अखंड भारत Akhand Bharat
May 20, 2025 at 07:20 AM
अधिकतर फिल्मों में........ कोई गुंडा पुलिस की पकड़ में नहीं आना चाहता है और कोर्ट में आत्म समर्पण करना है , तो सीन देखिएगा , वह बुरका पहनकर मुस्लिम महिला का वेश धर के कचहरी में सरेंडर करने के लिए आयेगा ।
कुछ फिल्मों में जब किसी को टपकाना है तो गुंडे बुरका पहनकर आते हैं और दनादन गोलियां बरसाने लगते हैं । ऐसा करने से पब्लिक को शक नहीं होता ।
फिल्म की हीरोइन छुप–छुपाकर हीरो से मिलने के लिए कहीं आती है तो बुरका पहनकर आती है ताकि कोई उसे कोई पहचान न लें ।
अक्सर फिल्मों में दिखाया जाता है कि आदमी से औरत बनना है तो बुरका पहन लो , चोरी कर के भागना है तो बुरका पहन लो , किसी से बचकर निकलना है तो बुरका पहन लो , पुलिस को शक न हो तो बुरका पहन लो , कोई गुप्त सामान या सूचना देनी है तो बुरका पहन लो , किसी का मर्डर करना हो तो बुरका पहन लो.......
आज भी बड़ी–बड़ी दुकानों में , स्टोरों में , मालों में , सुनारों की दुकानों में चोरी करने वालियों में बुर्के वाली अव्वल रहती हैं......
मुझे लगता है कि बुर्के का आविष्कार हुआ ही इसलिए था कि चोरी–चकारी , व्यभिचार और जासूसी करने में सहूलियत रहे और पहचान भी उजागर न हो पाए ।
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