
HISTORY Notes By Vikas Sir
June 9, 2025 at 08:32 AM
मुगलकालीन मनसबदारी व्यवस्था -
मनसब शब्द का अरबी भाषा में अर्थ है पद अथवा श्रेणी।
मनसबदारी का सुझाव सर्वप्रथम खलीफा अब्बासईद ने दिया था।
मनसबदारी व्यवस्था अकबर ने अपने शासन के 19वे वर्ष 1575 में शुरू की थी।
मनसबदारी व्यवस्था का सर्वप्रथम अध्ययन मोरलैंड एवं अब्दुल अजीज ने किया था।
किसी मनसबदार को नियुक्त करने की याचिका तजवीज कहलाती थी।
अकबर ने समस्त राजपत्रित अधिकारियों को 66 श्रेणियां में बांटा था परंतु अबुल फजल ने 33 श्रेणियां का ही उल्लेख किया है।
मनसबदार मीर बख्शी के अधीन होते थे तथा उनका परिचय भी बादशाह से मीर बक्शी के माध्यम से ही होता था।
अकबर ने राजा मानसिंह व मिर्जा अजीज कोका को 7000 का मनसब दिया था।
सबसे छोटा मनसब 10 का व सबसे बड़ा मनसब 10000 का होता था।
अकबर ने जहांगीर को 12000 का मनसब भी दिया था।
संपूर्ण मुगल काल में सबसे बड़ा मनसब शाहजहां ने दारा शिकोह को 60000 जात एवं 40000 सवार का दिया था।
मनसबदारों के तीन प्रकार थे -
मनसबदार
अमीर
अमीर उल उमरा
अकबर ने शासन के 40वे वर्ष 1595 में जात व सवार नामक द्वेध मनसब प्रणाली शुरू की।
मिर्जा शाहरुख पहला मनसबदार था जिसे द्वैध मनसब मिला था।
मनसबदार का वेतन जात के अनुसार निश्चित किया जाता था।
अकबर ने 1574 में घोड़े दागने व हुलिया नोट करने की प्रथा शुरू की थी।
जहांगिर ने मनसबदारी प्रणाली में दो अस्पा व सी अस्पा की प्रथा चलाई थी।
जहांगिर ने सर्वप्रथम दु अस्पा महावत खान को दिया था।
शाहजहां ने मनसबदारी व्यवस्था में 1/3 व 1/4 का नियम लागू किया था।
इसके अतिरिक्त शाहजहां ने मंथली स्केल/माहवारी जागीर व्यवस्था भी प्रारंभ की थी, जिसे शीशमाहा जागीर तथा सीमाही जागीर कहा जाता था।
औरंगजेब ने मनसबदारी व्यवस्था में मसरूत का एक नया पद जोड़ा था।
जागीर संकट ने भी मुगल साम्राज्य के पतन में योगदान दिया।
मोरलेंड ने सर्वप्रथम जागीर संकट का प्रतिपादन किया था।
अकबर के काल में हिंदू मानसबदारों की संख्या 16% थी जो कि औरंगजेब के समय बढ़कर सर्वाधिक 33% हो गई थी।
औरंगजेब के हिंदू मानसबदारों में आधे से अधिक मराठा थे।
मनसबदारी व्यवस्था में खासा, खुराक ए पिलान एवं इरामास का नियम औरंगजेब ने जोड़ा था।
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