
SELF REALIZATION, THROUGH GOD REALIZATION ✅
June 13, 2025 at 03:29 AM
*संपूर्ण हरदेव वाणी*
*शब्द संख्या 234*
*इक तू ही निरंकार*
*आदमी का नहीं भरोसा कहां दग़ा दे जायेगा।*
*कब ढायेगा ज़ुल्मों सितम और कब हानि पहुंचायेगा।*
*जिससे हाथ मिलाता उसको घोंप ये खंजर देता है।*
*प्यार जता के घात है करता प्राणों को हर लेता है।*
*नहीं लगे हैं पशु के डर से ताले घर मकान में।*
*इन्सां को इन्सान से है ख़तरा सकल जहान में।*
*आदमी की हालत अब तो शैतानों से बदतर है।*
*इसीलिये कहते हैं इससे जानवर ही बेहतर है।*
*मालिक दे तौफ़ीक कि बन्दा इक सच्चा इन्सान बने।*
*कहे ‘हरदेव’ जुड़े ईश्वर से धरती पर वरदान बने।*
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