
Palak Madhwani - कवि लेखक Writer Author
May 26, 2025 at 04:02 AM
विवाह एक पूल की तरह है
जिस पर से रोज़ गुज़रना है
इस पूल की एक बाज़ू है
“तुमसे तो बात करना ही बेकार है।”
और
दूसरी बाज़ू
“सुनो ना, मैं क्या कह रही थी…”
कभी इधर से उधर
तो
कभी उधर से इधर