शिक्षा विभागीय समाचार™✅
June 14, 2025 at 02:59 AM
*तृतीय श्रेणी शिक्षकों को गृह जिले में ट्रांसफर का इंतजार*
*फाइलों में दफन हुए विकल्प पत्र*
*17 दिन बाद फिर से खुलेंगी स्कूलें*
रियांश्यामदास.
प्रदेश समेत जिले के हजारों तृतीय श्रेणी शिक्षकों का सात साल से ट्रांसफर का सपना पूरा नहीं हो रहा है। वर्ष 2018 से ही तबादलों पर रोक लगी हुई है, जिसे अब तक नहीं हटाया गया। लम्बे समय से गृह जिले या घर के आसपास तबादला करवाने की राह देख रहे हजारों शिक्षकों की उम्मीद पूरी नहीं हो रही है। आखिरी बार वसुंधरा सरकार में के दौरान तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले हुए थे। हालांकि पूर्व गहलोत सरकार ने अगस्त 2021 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन भरवाए थे, जिसमें राज्यभर से तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने ऑनलाइन आवेदन किए, लेकिन तबादले नहीं किए। इससे ऑनलाइन किए लगभग 85 हजार शिक्षकों के आवेदन रद्दी की टोकरी में चले गए।
*फिर तोड़े सपने*
शिक्षक संगठनों से जुड़े विभिन्न पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2018 से ही ग्रेड थर्ड के शिक्षक ट्रांसफर की आस लगाए बैठे है। वर्ष 2021 में पूर्व सरकार ने तबादलने के लिए शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन भरवाए लिए, जब आवेदन लिए तक तृतीय श्रेणी शिक्षकों के लिए नई तबादला नीति के अंतर्गत करने और जिले के अंदर स्थानांतरण से जुड़ी घोषणा की गई, जिससे शिक्षकों में उम्मीद जगी, लेकिन बाद में ट्रांसफर पर बेन लगा कर उम्मीद तोड़ दी। सरकार ने एक तरफ तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं किए, जबकि दूसरी तरफ शिक्षा विभाग में ही प्रधानाचार्य, व्याख्याताओं, वरिष्ठ अध्यापको, उप प्राचार्य के बंफर तबादले कर दिए गए। तबादले नीते में दोहरे रवैये से शिक्षकों में आक्रोश है।
इधर, बीकानेर, बांसवाड़ा सहित डार्क जोन के दस जिलो में कार्यरत गैर अनुचित क्षेत्र के मूल निवासी इन जिलों में कार्यरत तृतीय श्रेणी शिक्षक बीते दो दशक से अपने गृह जिले में तबादले या रिक्त पदों पर समायोजित होने की बाट जोह रहे हैं।
*छुट्टियों में लगा रहे ट्रांसफर की गुहार*
शिक्षकों ने बताया कि सत्र 2025-26 के लिए 17 दिन बाद फिर से स्कूलें शुरू हो जाएगी। छुट्टियां होने की वजह से तृतीय श्रेणी के शिक्षकों द्वारा अभी सरकार के मंत्रियों व विधायकों के चक्कर लगाकर ट्रांसफर की गुहार लगाई जा रही है।
*फाइलों में दफन हुए विकल्प पत्र*
वर्ष 1999 से पहले प्रदेश के दस जिले का सरकार ने डार्क जोन के जिले घोषित किए थे, जिसमें आने वाले शिक्षकों के तबादलों पर पूरी तरह से प्रतिबंध था। वर्ष 2014 में बांसवाड़ा, डूरंगपुर और प्रतापगढ़ जिले पूर्ण अनुसूचित तथा उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली का कुछ क्षेत्र भी इसमें शामिल किया। इन शिक्षकों की ओर से तबादले चाहने पर सरकार ने विकल्प पत्र भरवाए, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। शिक्षकों ने बताया कि हजारों की संख्या में सरकारी स्कूलों में कई तृतीय श्रेणी शिक्षक पढ़ा रहे हैं। पूर्व सरकार के कार्यकाल में अगस्त 2021 में प्रदेशभर से तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने शाला दर्पण के माध्यम से ऑन लाइन आवेदन किए। शिक्षक संघों ने धरना प्रदर्शन किया, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। विभागीय अधिकारियों व विधायकों ने बताया कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों का कैडर जिले का होता है, यदि जिले से बाहर तबादला होता है तो उनकी वरिष्ठता पर विपरीत असर पड़ता है। प्रमोशन में भी परेशानी होती है। हालांकि, यह मामला सरकार में विचाराधीन है, जैसे ही कोई निर्णय होगा, शत-प्रतिशत पालना की जाएगी।
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