𝐃𝐄𝐄𝐍_𝐊𝐢-𝐁𝐀𝐀𝐓𝐄𝐈𝐍
𝐃𝐄𝐄𝐍_𝐊𝐢-𝐁𝐀𝐀𝐓𝐄𝐈𝐍
June 9, 2025 at 02:50 AM
🌿 *रिज़्क़ के लिए अल्लाह के वादे पर भरोसा करो... निकाह के ज़रिए!* 🌿 _(दुनिया के डर से नहीं, रब के वादे से फ़ैसला करो)_ 📜 *हज़रत उमर बिन खत्ताब (रज़ि अल्लाहु अन्हु) ने फ़रमाया:* _"मैंने कभी किसी शख़्स को इससे ज़्यादा अजीब नहीं देखा_ _जो निकाह के ज़रिए गिना_ _(बेनियाज़ी) हासिल नहीं करता,_ _जबकि अल्लाह तआला ने ख़ुद फ़रमाया है_ _कि अगर वो ग़रीब हों, तो अल्लाह उन्हें अपने फ़ज़्ल से आमिर कर देगा!"_ 📖 _(अद-दुर्र अल-मन्थूर, जिल्द 5, सफ़ा 80-81)_ 🔹 ये बात क़ुरआन की सूरह अन-नूर (24:32) में भी आई है: *_"अगर वो ग़रीब हों तो अल्लाह अपने फ़ज़्ल से उन्हें आमिर कर देगा..."_* ✨ *सोचने वाली बात!* अजीब बात है... इंसान रोज़गार, पैसा, करियर के लिए हर दरवाज़ा खटखटा देता है, लेकिन जब अल्लाह का वा'दा है निकाह के ज़रिए रिज़्क़ का — तो वहाँ पर डर लगता है, रुक जाता है! 💭 क्या तुम अल्लाह के कलाम पर शक करते हो? क्या तुम अपने जॉब, सैलरी, या सेविंग्स पर ज़्यादा भरोसा रखते हो और अपने रब के वादे पर कम? ❓ जब अर-रज़्ज़ाक़ कह रहा है: "मैं आमिर बना दूँगा..." तो तुम कहते हो: "अभी वक़्त नहीं है... थोड़ा और कमा लें... पहले बेस बन जाए..." 🧠 ये किस पर यक़ीन है फिर? दुनिया पर या अल्लाह पर? 🕋 *आओ फ़ैसला करो — रब के वादे पर यक़ीन का!* निकाह सिर्फ़ एक सुन्नत नहीं, ये तो एक सबब है अल्लाह के फ़ज़्ल के नुज़ूल का, सुकून का, रिज़्क़ का, और बरकत का! 📌 _ये पोस्ट सबसे पहले मेरे लिए है,_ क्योंकि मैं भी कभी-कभी दुनिया के हिसाबों में उलझ जाता हूँ... लेकिन अब समझ आया: *रिज़्क़ का दरवाज़ा अल्लाह खोलता है, दुनिया नहीं!* 🤲 *या अल्लाह! हमें अपने वादे पर यक़ीन नसीब फ़रमा* *और निकाह के फ़ैसले में आसानी, रहमत और बरकत अता फ़रमा।* *आमीन या रब्बल-आलमीन!*
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