☝️Haqq Ka Daayi (An Islamic Channel)
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June 15, 2025 at 04:43 PM
❁ ❁ вɪѕмɪʟʟααнɪʀʀαнмαռɪʀʀαнєєм •–▤–●–▤▤–●–▤▤–●–▤▤–●–▤–• ︽︽︽︽︽︽︽︽︽︽ *▣_ शहादत ए हुसैन _▣* ︾︾︾︾︾︾︾︾︾︾ *◈-क़िस्त - 06-◈* *▣ मोहर्रमुल और आशूरा के दिन नाजायज़ काम ▣* ◆══◆══◆══◆══◆══◆ *※३_ 10वी मोहर्रम की छुट्टी ※* *▣_ कई लोग दसवीं मोहर्रम की छुट्टी करना ज़रुरी समझते हैं और इसको सैयदना हजरत हुसैन रजियल्लाहु अन्हु की शहादत का सौग समझते हैं ।* *▣_हालांकि 3 दिन के बाद सौग मनाना जायज़ नहीं है और शरियत में किसी भी दिन कामकाज करने से मना नहीं किया। नमाज़ ए जुमा और नमाजे़ ईद के बाद भी अपना कारोबार कर सकते हैं* *※ _ 4-कब्रों की जियारत _※* *▣_ कब्रों की जियारत सवाब है क्योंकि इनको देखने से मौत याद आती है मगर इस काम के लिए 10 मोहर्रम को मुक़र्रर करते हैं और साल में सिर्फ इसी दिन क़ब्रिस्तान जाते हैं और आगे पीछे कभी भूल कर भी नहीं जाते यह सही नहीं है ।* *▣_कुछ लोग आशूरा के दिन कब्रों पर सब्ज़ छड़िया रखते हैं और यह समझते हैं कि इससे मुर्दे का अज़ाब टल जाता है इस अमल के इल्तजा़म में बहुत सी खराबियां हैं, मसलन -गैर लाज़िम को लाज़िम समझा जाता है । बाज़ लोग अज़ाब टल जाने को लाज़िम ख्याल करते हैं और यह सही नहीं है,* *※ (5)-मजलिस ए शहादत ※* *▣_ यौमें आशूरा को यौमे शहादत सैयदना हजरत हुसैन रजियल्लाहु अन्हु गुमान करना व अहकामें मातम ,नोहा, गिरिया व ज़ारी बेक़रारी करना और घर घर मजलिस ए शहादत में शहादत नामा या वफात नामा बयान करना खासकर असल रिवायत के खिलाफ यह हराम है।* *▣_ हदीसे पाक में आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने मरसियों ( वफात नामा ) से मना फ़रमाया है और खिलाफे रिवायत बयान करना सब अवबाब में हराम है।* *※(6)- सबील लगाना, शर्बत, खिचड़ा तक़सीम करना ※* *▣_ तक़सीमें शरबत खिचड़ा जिसमें रिया दिखावा का खास दखल है और हर ग़नी और फ़कीर को इसका लेना और उसको तबर्रुक जानना और जो ना ले उसको बुरा समझना उस पर लान तान करना ,दूध शरबत की सबील लगाना और उसके लिए चंदा करना और ना देने वालों को बुरा कहना खासकर इन दिनों में करना । अगर जानबूझकर सवाब की नियत से करता है तो यह बिद’अते जलाला है और किसी और सदका़त का लेना ग़नी को मकरुह है और सैयद को हराम है और ना देने वाले को लान तान करना फिस्ख है। ( फक़त वल्लाहु आलम )* https://whatsapp.com/channel/0029VaoQUpv7T8bXDLdKlj30 *👆🏻 Follow वाट्स एप चैनल फाॅलो कीजिए _,* *※(7)_ मुहर्रम में शादी ना करना ※* *▣__ मोहर्रम ,सफर और शाबान में शादी ना करना इस अकी़दे पर मुबनी है कि यह महीने मनहूस है। इस्लाम इस नजरिए का का़यल नहीं ।* *▣_मोहर्रम में सैयदना हज़रत हुसैन रजियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई है मगर इससे यह लाज़िम नहीं आता कि इस महीने में अक़्द निकाह ममनुआ हो गया। वरना हर महीने में किसी ना किसी शख्सियत का विसाल हुआ है जो हजरत हुसैन रजियल्लाहु अन्हु से भी बुजुर्गतर थे।* *“_ इससे यह लाज़िम आएगा कि साल के 12 महीनों में किसी में भी निकाह ना किया जाए ।* *▣_ फिर शहादत के महीने को सोग व नहुसत का महीना समझना भी गलत है।* *⚀•हवाला:➻┐शहादते हुसैन रजियल्लाहु अन्हु, ( मजमुआ इफादात)* ◈ ◰ ◱ ◴ ◵ ◶ ◷ ◸ ◹ ◺ ◸ ◹ ◺ ◶ ◷ ◸ ◹ ◺ ◸ 💕 *ʀєαd,ғσʟʟσɯ αɳd ғσʀɯαʀd*💕 *❥✍ Haqq Ka Daayi ❥* http://haqqkadaayi.blogspot.com *👆🏻हमारी अगली पिछली सभी पोस्ट के लिए साइट पर जाएं ,* https://chat.whatsapp.com/E5mIxTIuH6ZCelS7wTwmAD *👆🏻वाट्स एप पर सिर्फ हिंदी ग्रुप के लिए लिंक पर क्लिक कीजिए _,* https://www.facebook.com/share/1BYZV136N9/ *👆🏻 फेसबुक पेज लाइक & फोलो कीजिए_,* https://t.me/haqqKaDaayi *👆🏻 टेलीग्राम पर हमसे जुड़िए_,* ▉

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