☝️Haqq Ka Daayi (An Islamic Channel)
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June 16, 2025 at 02:58 PM
❁ ❁ вɪѕмɪʟʟααнɪʀʀαнмαռɪʀʀαнєєм •–▤–●–▤▤–●–▤▤–●–▤▤–●–▤–• ︽︽︽︽︽︽︽︽︽︽ *▣_ शहादत ए हुसैन _▣* ︾︾︾︾︾︾︾︾︾︾ *◈-क़िस्त - 08-◈* *▣ मुन्किरात ए मोहर्रम ▣* ◆══◆══◆══◆══◆══◆ *※_(1)- सैयदना हज़रत हुसैन रजि़यल्लाहु अन्हु को इमाम कहने की क्या हैसियत है ? ※* *▣_ इमाम का लफ्ज़ अहले हक़ के यहां भी इस्तेमाल होता है और शिया के यहां भी। अहले हक़ के यहां इसके मा’नी पेशवा, रहबर और मुक्तदा के हैं । अहले शिया के यहां इमाम आलिमुल गैब और मासूम होते हैं । उनके यहां इमाम का दर्जा नबियों से भी बड़ा होता है।* *▣_जा़हिर है इस लफ्ज़ (इमाम) के इस्तेमाल में हम तो वही मतलब मलहूज रखते हैं जो अहले हक़ के यहां है ।इस एतबार से तमाम सहाबा किराम ,ताबाईन औलिया अल्लाह और उलेमा इमाम है, इसलिए इमाम अबू बकर, इमाम उमर, इमाम उस्मान, इमाम अली, इमाम अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हूम कहना चाहिए।* *▣_रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया – मेरे सब सहाबा सितारों की मानिंद है।”* *“_ यानी सबके सब इमाम है जिसकी चाहो इक़्तदा कर लो, हर सितारे में रोशनी है जिससे चाहो रोशनी हासिल कर लो, इस मा’नी में सारे सहाबा किराम रजियल्लाहु अन्हुम इमाम है।* *▣_ सोचने की बात यह है कि लोग इमाम अबू बकर नहीं कहते इमाम उमर नहीं कहते, इमाम हसन और इमाम हुसैन ही कहते हैं । मालूम हुआ कि यह असर मुसलमानों में कहीं गैर से आया है, शियाओं का असर मुसलमानों में शरारत कर गया । अगर अहले हक उलेमा में से किसी ने इन हजरात को इमाम कहां है तो उन्होंने इसके सही मायने (पेशवा, रहबर और मुक्तदा) में इमाम कहां है , मगर इससे मुगालता जरूर होता है इसलिए इससे एहतराज़ जरूरी है।* *※ (2)_ अलैहिस्सलाम का इतलाक़ ※* *▣_ ऐसे ही सैयदना हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हु को अलेहिस्सलाम भी वही लोग कहते हैं जो उन्हें अंबिया अलैहिस्सलाम का दर्जा देते हैं। इससे भी एतराज़ लाज़िम है ।* *▣_जिस तरह रजियल्लाहु ता’अला अन्हु के दुआएं कलमात लिखें और कहे जाते हैं ऐसे ही दुआएं कलमात हजराते हसनैन रज़ियल्लाहु अन्हुम के साथ भी लिखें और कहे जाए।* *※ (3)- मुसलमानों के नामों में शियाओं का असर_,※* *▣_ मुसलमानों के नामों में भी शियाओं का असर पाया जाता है मसलन असल नाम के साथ जिस तरह महज़ तबर्रुक के लिए मोहम्मद और अहमद मिलाने का दस्तूर है इसी तरह अली ,हसन, हुसैन मिलाया जाता है। सिद्दीक, फारुख, उस्मान और या किसी और सहाबी का नाम बतौर तबर्रुक असल नाम के साथ मिलाने का दस्तूर नहीं।* *▣_ निस्बत ए गुलामी भी हजरत अली, हजरत हसन, हजरत हुसैन रजियल्लाहु अन्हुम की तरफ ही की जाती है मगर और किसी शहर की तरफ नहीं की जाती।* *▣_ औरतों में भी कनीज़ फातिमा का नाम तो पाया जाता है मगर कनीज़ खदीजा, कनीज़ आयशा और दीगर अजवाज़े मुताहरात और कनीज़ जैनब, कनीज़ कुसुम ( साहब जादियों) रजियल्लाहु अन्हुमा कहीं सुनाई नहीं देती ।* *▣_इससे भी बढ़कर अल्ताफ हुसैन , फ़ज़ल हुसैन, फैजु़ल हसन जैसे शिर्किया नाम भी मुसलमानों में बा कसरत रखे जाते हैं ।* *⚀•हवाला:➻┐शहादते हुसैन रजियल्लाहु अन्हु, ( मजमुआ इफादात)* ◈ https://whatsapp.com/channel/0029VaoQUpv7T8bXDLdKlj30 *👆🏻 Follow वाट्स एप चैनल फाॅलो कीजिए _,* ◰ ◱ ◴ ◵ ◶ ◷ ◸ ◹ ◺ ◸ ◹ ◺ ◶ ◷ ◸ ◹ ◺ ◸ 💕 *ʀєαd,ғσʟʟσɯ αɳd ғσʀɯαʀd*💕 *❥✍ Haqq Ka Daayi ❥* http://haqqkadaayi.blogspot.com *👆🏻हमारी अगली पिछली सभी पोस्ट के लिए साइट पर जाएं ,* https://chat.whatsapp.com/E5mIxTIuH6ZCelS7wTwmAD *👆🏻वाट्स एप पर सिर्फ हिंदी ग्रुप के लिए लिंक पर क्लिक कीजिए _,* https://www.facebook.com/share/1BYZV136N9/ *👆🏻 फेसबुक पेज लाइक & फोलो कीजिए_,* https://t.me/haqqKaDaayi *👆🏻 टेलीग्राम पर हमसे जुड़िए_,* ▉

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