ऑनलाइन वैदिक गुरुकुल
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                June 16, 2025 at 09:48 AM
                               
                            
                        
                            पृथ्वी की धुरी झुकी: वजह बना भूजल का अत्यधिक दोहन! 
एक हालिया वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि पृथ्वी के भीतर से अत्यधिक भूजल (Groundwater) निकालने के कारण पृथ्वी की घूमने की धुरी में लगभग 80 सेंटीमीटर (31.5 इंच) का झुकाव आ गया है यानी जिस कल्पित रेखा पर पृथ्वी घूमती है वो अब धीरे-धीरे खिसक रही है। 
अध्ययन में क्या कहा गया?
*वेद वरदान आर्य धर्म योद्धा कर्मवीर धर्मस्थल से*     
* यह स्टडी दिसंबर 2024 में प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल Geophysical Research Letters में प्रकाशित हुई थी।
* इसमें 1993 से 2010 के बीच के सैटेलाइट डेटा का विश्लेषण किया गया।
* अनुमान लगाया गया कि मानव ने इस अवधि में लगभग 2150 गीगाटन भूजल को जमीन के नीचे से बाहर निकाला ये इतना पानी है कि जिससे करीब 6 मिलीमीटर वैश्विक समुद्र स्तर बढ़ा! 
यह कैसे काम करता है?
* भूजल निकालना = भार का पुनर्वितरण: जब बड़ी मात्रा में पानी जमीन से बाहर निकाला जाता है, वह फिर समुद्रों में पहुँच जाता है। इससे पृथ्वी पर भार का संतुलन बिगड़ता है।
* पृथ्वी की परिक्रमा-अक्ष (rotational axis) चेंज होती है: जब पृथ्वी का द्रव्यमान एक हिस्से से हटकर दूसरे हिस्से में चला जाता है तो घूर्णन अक्ष थोड़ी-थोड़ी सी बदलती रहती है ठीक उसी तरह जैसे वॉशिंग मशीन असंतुलित हो जाती है।
* पोल वॉबलिंग (Pole Wobble): यह घटना उसी का परिणाम है जिसे “polar wander” या “Earth’s wobble” कहा जाता है। 
इसके परिणाम क्या हो सकते हैं?
* जलवायु और मौसम पैटर्न पर असर: घूर्णन अक्ष में परिवर्तन से जलवायु की पट्टियों में हल्की लेकिन स्थायी शिफ्ट हो सकती है।
* GPS और सैटेलाइट सिस्टम पर प्रभाव: जो सटीक निर्देशांक पृथ्वी की धुरी से जुड़े होते हैं,वे थोड़े बदल सकते हैं,जिससे नेविगेशन सिस्टम को समय-समय पर कैलिब्रेट करना पड़ेगा।
* पृथ्वी की स्थिरता पर दीर्घकालिक प्रश्न: यह साबित करता है कि मानव गतिविधियाँ भी ग्रह के भौतिक संतुलन को बदल सकती हैं। 
क्या यह पहली बार हो रहा है?
1990 के दशक से पृथ्वी की धुरी में बदलाव रिकॉर्ड किए जा रहे हैं,लेकिन यह पहली बार है जब वैज्ञानिकों ने "भूजल दोहन" को इस बदलाव की मुख्य वजह के रूप में पहचाना है। 
भविष्य की दिशा क्या होनी चाहिए?
सस्टेनेबल वॉटर मैनेजमेंट:
* अत्यधिक बोरवेल दोहन को रोकना
* वर्षा जल संचयन (rainwater harvesting) को बढ़ाना
* भूजल रिचार्ज ज़ोन बनाना 
ग्लोबल निगरानी:
* GRACE जैसे सैटेलाइट मिशन से भूजल और द्रव्यमान परिवर्तन की ट्रैकिंग बढ़ानी चाहिए। 
नीतिगत परिवर्तन:
* सरकारों को भूजल दोहन पर नियंत्रण के लिए कानून सख्त करने होंगे। 
निष्कर्ष
इस अध्ययन से ये बात साफ़ होती है कि इंसानी गतिविधियाँ केवल पर्यावरण ही नहीं,बल्कि पूरे ग्रह की संरचना और संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं। अगर अब भी हम नहीं चेते,तो हमें पृथ्वी पर रहने के लिए खुद उसकी बुनियादी भौगोलिक स्थिरता को खतरे में डालना पड़ सकता है।
                        
                    
                    
                    
                        
                        
                                    
                                        
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