
ChandraShekhar Azad Ravan
June 18, 2025 at 01:46 PM
उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ स्थित राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ हुए अपमान और छात्रवृत्ति में भेदभाव से मैं अत्यंत व्यथित और आक्रोशित हूँ।
अनुसूचित जाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के साथ न केवल छात्रवृत्ति के अधिकार को लेकर अन्याय किया गया, बल्कि उन्हें अपमानित करने का प्रयास भी हुआ।
छात्रों के अनुसार उन्होंने जब अपनी छात्रवृत्ति फॉर्म रिजेक्ट किए जाने के संबंध में कुलपति जी के कार्यालय में वार्ता की, तो:
उन्हें उनके पहनावे और सामाजिक पृष्ठभूमि के आधार पर नीचा दिखाया गया
एक छात्र से कहा गया: "तू मजदूर का बेटा है, तुझे हवाई चप्पल में होना चाहिए था।"
छात्रों को धमकी दी गई कि "मैं ऐसे क्षेत्र से आता हूँ जहाँ से लोगों को उठवा लिया जाता है।"
यह व्यवहार न केवल गंभीर रूप से अमानवीय है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 17 का स्पष्ट उल्लंघन है। छात्रवृत्ति कोई अनुग्रह नहीं है, यह वंचित समाज के छात्रों का अधिकार है, जिसे उन्हें उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र दिया जाता है।
मैं @UPGovt और विश्वविद्यालय प्रशासन से यह माँग करता हूँ कि:
1. सभी रिजेक्ट छात्रवृत्ति फॉर्मों की उच्चस्तरीय जाँच हो।
2. अपमान और धमकियों की स्वतंत्र न्यायिक जाँच हो।
3. सभी छात्रों को उनकी छात्रवृत्ति तत्काल दिलाई जाए और उन्हें मानसिक प्रताड़ना से राहत दी जाए।
4. विश्वविद्यालयों को जातिवादी मानसिकता से मुक्त करने के लिए ठोस नीतिगत कदम उठाए जाएँ।
इस देश का संविधान हमें बराबरी का अधिकार देता है — कोई भी पद या कुर्सी इतनी बड़ी नहीं कि वह दलित, पिछड़े या गरीब छात्र की मेहनत को अपमानित कर सके।
मैं सदन से सड़क तक इस मुद्दे को उठाऊँगा। यह केवल छात्रों की नहीं, संविधान और सामाजिक न्याय की लड़ाई है।
@CMOfficeUP
@myogiadityanath

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