विरेंद्र बौद्ध (चिंतनशील)
विरेंद्र बौद्ध (चिंतनशील)
June 6, 2025 at 07:42 AM
माथे तिलक, हाथ जपमाला। जग ठगने को, स्वांग बनाला।

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