हिंदी शायरियां
June 18, 2025 at 06:30 AM
"जब रहते हो मेरे दिल में हर पल हर घड़ी फिर क्या फर्क पड़ता है कितनी भी रहे हमारे प्यार में लंबी दूरी",,, ये जो कहती हूं क्या सच में मानता है अंतर्मन या बस देती हूं खुदको एक झूठी तसल्ली वरना दिल की गली में नहीं रहती थी दिन रात तुम्हारी इंतज़ारी। जब करती हूं हर पल तुम्हे दिल से महसूस तो क्यों नहीं होती तुम्हारी किल्लत पूरी। निस्वार्थ प्यार है मेरा इतना विश्वास है अगर तो फिर क्यों तड़पाती है तुम्हे ना पाने की लाचारी। प्रेम के अध्याय में हम पूरे रह कर भी रह गई हमारी कहानी अधूरी, फिर भी प्यार निभाऊंगी जैसे निभा रहे है भले ही न मिली हो जिंदगी के अध्याय में साथ रहने की मंजूरी।
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