
Himanshu Rai
May 22, 2025 at 10:49 AM
हमारे जीवन में परिवर्तन लगातार होता रहता है। परिस्थितियाँ बदलती हैं, लोग बदलते हैं, और कभी-कभी हमारी योजनाएँ भी बदल जाती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि हम अनुकूलनशील बनें—यानी, हम उन परिवर्तनों के साथ तालमेल बैठाकर उन्हें अपने लाभ में बदल सकें।
अनुकूलनशीलता केवल यह नहीं है कि हम बदलते हुए वातावरण के साथ जी सकें, बल्कि यह हमारी आंतरिक क्षमता है कि हम हर स्थिति में अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन कर सकें। यह किसी के लिए नए कौशल सीखने की प्रक्रिया हो सकती है, तो किसी के लिए अपनी पुरानी सोच को छोड़कर नई सोच अपनाने का एक तरीका।
भगवद गीता में कहा गया है कि जो व्यक्ति समय और परिस्थितियों के अनुसार अपने कर्तव्यों को निभाता है, वह सफलता प्राप्त करता है। यह सिखाता है कि जीवन में बदलावों का सामना करने के लिए हमें लचीला और अनुकूल होना चाहिए, क्योंकि परिस्थितियाँ कभी स्थिर नहीं रहतीं।
आज के दिन रुककर सोचिए—क्या आप अपने जीवन के किसी बदलाव को खुलकर अपनाने के लिए तैयार हैं? क्या आप अपनी पुरानी आदतों और सोच को छोड़कर नए तरीके से सोच सकते हैं?
अनुकूलनशीलता हमें न केवल बदलती परिस्थितियों से जूझने की ताकत देती है, बल्कि यह हमें आगे बढ़ने, नया सीखने और असल में जीवन के हर बदलाव को अवसर के रूप में देखने की दृष्टि भी प्रदान करती है।
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