Guru Nanak Blessings 🙌
June 16, 2025 at 04:09 PM
*कल के सत्संग का ज्ञान*👏 *!! धन गुरु नानक जी !!* *!! श्री जपजी साहिब जी !!* *!! DAY 103 !!* *👉एवडु ऊचा होवै कोइ ॥ तिसु ऊचे कउ जाणै सोइ ॥* ऐवडु = इतना बड़ा। होवै कोइ = यदि कोई मनुष्य हो। तिसु ऊचे कउ = उस ऊँचे अकाल-पुरख को। सोइ = वह मनुष्य ही। 👉🏻 ईश्वर सबसे ऊंचा है लेकिन उससे भी ऊंचा उसका नाम है। 👉🏻अगर कोई और उसके जितना बड़ा हो, वह ही उस ऊंचे अकाल-पुरख को समझ सकता है कि वह कितना बड़ा है। 👉🏻 ईश्वर के अनेक नाम है जो गुणात्मक और वर्णनात्मक है लेकिन उससे भी ऊंचा जो नाम है जिसकी हमें खोज करनी है वह हमारे भीतर है। गुरु नानक देव जी महाराज कह रहे हैं:- 👉🏻 ईश्वर का निवास हमारे भीतर ही है। 👉🏻 ईश्वर के बाहरी नामों से हम अपनी सुर्ति को एकाग्र कर सकते हैं। 👉🏻 सबसे ऊंचा परमात्मा का नाम है और हमें उसी की खोज करनी है। गुरु अमर दास जी महाराज कह रहे हैं:- 👉🏻 हम नाम की खोज शरीर में करते हैं इसलिए बहुत दुख की प्राप्ति होती है। 👉🏻 परमात्मा की खुशी उनके हुकुम में है। *👉जेवडु आपि जाणै आपि आपि ॥ नानक नदरी करमी दाति ॥२४॥* पद्अर्थ: जेवडु = जितना बड़ा। जाणै = जानता है। आपि आपि = केवल स्वयं ही (उसके बिना कोई और नहीं जानता)। नदरी = मेहर की नजर करने वाला हरि। करमी = करम से, कृपा से। दाति = बख़्शिश, कृपा। अर्थ: अकाल-पुरख स्वयं ही जानता है कि वह खुद कितना बड़ा है। हे नानक! (हरेक) दात, मिहर की नज़र करने वाले अकाल पुरख की बख़्शिश से ही मिलती है।24। 👉🏻भाव: प्रभू बेअंत गुणों का मालिक है, उसकी पैदा की हुई रचना भी बेअंत है। 👉🏻ज्यों ज्यों उसके गुणों की तरफ ध्यान मारें, वह और भी बड़ा प्रतीत होने लग पड़ता है। 👉🏻जगत में ना कोई उस प्रभू जितना बड़ा है, और इस वास्ते ना ही कोई ये बता सकता है कि प्रभू कितना बड़ा है। 👉🏻 ईश्वर की कृपा होती है तो मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। तीसरी पातशाही फरमा रहे हैं:- *सलोक मः ३ ॥ इहु जलु सभ तै वरसदा वरसै भाइ सुभाइ ॥ से बिरखा हरीआवले जो गुरमुखि रहे समाइ ॥ नानक नदरी सुखु होइ एना जंता का दुखु जाइ ॥१॥* 👉🏻(प्रभू का नाम रूप) यह जल (भाव, बरसात) हर जगह बरस रहा है और बरसता भी है प्रेम से अपनी मौज से (भाव, किसी भेद-भाव के बग़ैर), पर, केवल वही (जीव-रूप) वृक्ष हरे होते हैं जो गुरू के सन्मुख हो के (इस 'नाम' बरखा में) लीन रहते हैं। 👉🏻प्रभू की मेहर की नजर से सुख पैदा होता है और इन जीवों का दुख दूर होता है। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *मः ३ ॥ बाबीहा इव तेरी तिखा न उतरै जे सउ करहि पुकार ॥ नदरी सतिगुरु पाईऐ नदरी उपजै पिआरु ॥ नानक साहिबु मनि वसै विचहु जाहि विकार ॥२॥* 👉🏻 हे (जीव-) पपीहे! अगर तू सौ बार तरले ले तो भी इस तरह तेरी (माया की) तृष्णा भूख मिट नहीं सकती। 👉🏻प्रभू की मेहर की नजर से ही गुरू मिलता है और मेहर से ही हृदय में प्यार पैदा होता है। 👉🏻 ईश्वर की कृपा होने से ही मन रूपी बर्तन साफ होगा। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *हरि हरि नामु अम्रितु है नदरी पाइआ जाइ ॥ अनदिनु हरि हरि उचरै गुर कै सहजि सुभाइ ॥ नानक नामु निधानु है नामे ही चितु लाइ ॥४॥३॥* 👉🏻परमात्मा का नाम आत्मिक जीवन देने वाला है, पर उसकी मेहर की निगाह से ही मिलता है। 👉🏻जिस पर मेहर की निगाह होती है, वह मनुष्य गुरू के माध्यम से आत्मिक अडोलता में टिक के हर वक्त परमात्मा का नाम उचारता है। 👉🏻उस मनुष्य के लिए हरी-नाम ही खजाना है, वह नाम में ही चिक्त जोड़े रखता है। 👉🏻 सतगुरु रूपी जहाज में बैठकर विकारों रुपी लहरों से पार पाया जा सकता है। 👉🏻 नम्रता से ही हम आगे बढ़ सकते हैं। 👉🏻 इसलिए हमेशा हमें झुक (निंव) कर चलना चाहिए। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 शुकराना वाहेगुरु जी🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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