Guru Nanak Blessings 🙌
June 18, 2025 at 04:39 AM
Amrit wele da mukhwakh shri Harmandar sahib amritsar sahib ji, Ang-692,18-June-2025
राम सिमरि राम सिमरि राम सिमरि भाई ॥ राम नाम सिमरन बिनु बूडते अधिकाई ॥१॥ रहाउ ॥ बनिता सुत देह ग्रेह स्मपति सुखदाई ॥ इन्ह मै कछु नाहि तेरो काल अवध आई ॥१॥ अजामल गज गनिका पतित करम कीने ॥ तेऊ उतरि पारि परे राम नाम लीने ॥२॥ सूकर कूकर जोनि भ्रमे तऊ लाज न आई ॥ राम नाम छाडि अम्रित काहे बिखु खाई ॥३॥ तजि भरम करम बिधि निखेध राम नामु लेही ॥ गुर प्रसादि जन कबीर रामु करि सनेही ॥४॥५॥ {पन्ना 692}
अर्थ: हे भाई! प्रभू का सिमरन कर, प्रभू का सिमरन कर। सदा राम का सिमरन कर। प्रभू का सिमरन किए बिना बहुत सारे जीव (विकारों में) डूब जाते हैं।1। रहाउ।
पत्नी, पुत्र, शरीर, घर, दौलत - ये सारे सुख देने वाले प्रतीत होते हैं, पर जब मौत रूपी तेरा आखिरी समय आया, तो इनमें से कोई भी तेरा अपना नहीं रह जाएगा।1।
अजामल, गज, गनिका -ये विकार करते रहे, पर जब परमात्मा का नाम इन्होंने सिमरा, तो ये भी (इन विकारों में से) पार लांघ गए।2।
(हे सज्जन!) तू सूअर, कुत्ते आदि की जूनियों में भटकता रहा, फिर भी तुझे (अब) शर्म नहीं आई (कि तू अभी भी नाम नहीं सिमरता)। परमात्मा का अमृत-नाम विसार के क्यों (विकारों का) जहर खा रहा है?।3।
(हे भाई!) शास्त्रों के अनुसार किए जाने वाले कौन से काम है, और शास्त्रों में कौन से कामों के करने की मनाही है– इस वहिम को छोड़ दे, और परमात्मा का नाम सिमर। हे दास कबीर! तू अपने गुरू की कृपा से अपने परमात्मा को ही अपना प्यारा (साथी) बना।4।5।
Remember the Lord, remember the Lord, remember the Lord in meditation, O Siblings of Destiny.
Without remembering the Lord's Name in meditation, a great many are drowned. ||1||Pause||
Your spouse, children, body, house and possessions - you think these will give you peace.
But none of these shall be yours, when the time of death comes. ||1||
Ajaamal, the elephant, and the prostitute committed many sins,
but still, they crossed over the world-ocean, by chanting the Lord's Name. ||2||
You have wandered in reincarnation, as pigs and dogs - did you feel no shame?
Forsaking the Ambrosial Name of the Lord, why do you eat poison? ||3||
Abandon your doubts about do's and dont's, and take to the Lord's Name.
By Guru's Grace, O servant Kabeer, love the Lord. ||4||5||
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