Guru Nanak Blessings 🙌
June 18, 2025 at 04:15 PM
*कल के सत्संग का ज्ञान*👏 *!! धन गुरु नानक जी !!* *!! श्री जपजी साहिब जी !!* !! Day 105 !! 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *केते मंगहि जोध अपार ॥* *केतिआ गणत नही वीचारु ॥ केते खपि तुटहि वेकार ॥* पद्अर्थ: केते = कई। जोध अपार = अपार योद्धे, अनगिनत सूरमें। मंगहि = मांगते हैं। गणत = गिनती। केतिआ = कईयों की। वेकार = विकारों में। खपि तुटहि = खप खप के नाश होते हैं। अर्थ: बेअंत शूरवीर व कई और ऐसे, जिनकी गिनती पे विचार नहीं हो सकती, (अकाल-पुरख के दर पे) मांग रहे हैं। कई जीव (उसकी दातें बरत के) विकारों में ही खप खप नाश हो रहे हैं। 👉🏻 चाहे कोई कितना भी बड़ा सूरमा हो ईश्वर के आगे सब भिखारी है। 👉🏻 सद्गुरु के मत पर चलने वाले ही सच्चे सूरमा होते हैं। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *सो सुरतानु जु दुइ सर तानै ॥ बाहरि जाता भीतरि आनै ॥ गगन मंडल महि लसकरु करै ॥ सो सुरतानु छत्रु सिरि धरै ॥३॥* 👉🏻असल सुल्तान ( वह है जो ज्ञान और वैराग के दो तीर तानता है। 👉🏻वह बाहरी दुनियाँ के पदार्थों की ओर भटकते मन को अंदर की ओर मोड़ लेता है, प्रभू-चरणों में जुड़ के अपने अंदर भले गुण पैदा करता है। 👉🏻वह सुल्तान अपने सिर पर छत्र झुलवाता है। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 कबीरदास जी के अन्य स्थान पर लिखते हैं:- *सलोक कबीर ॥ गगन दमामा बाजिओ परिओ नीसानै घाउ ॥ खेतु जु मांडिओ सूरमा अब जूझन को दाउ ॥१॥ सूरा सो पहिचानीऐ जु लरै दीन के हेत ॥ पुरजा पुरजा कटि मरै कबहू न छाडै खेतु ॥२॥२॥* 👉🏻जो मनुष्य इस जगत-रूपी रण-भूमि में वीर हो के विकारों के मुकाबले में डट के खड़ा है, और यह समझता है कि ये मानस-जीवन ही मौका है जब इनके साथ लड़ा जा सकता है, वह है असली शूरवीर है। 👉🏻 उसके हृदय में प्रभू-चरणों से जुड़े रहने की कसक पड़ती है। 👉🏻 एक और भी शूरवीर है जो गरीबों की खातिर लड़ता है 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 गुरु नानक जी कहते हैं:- *मरणु मुणसा सूरिआ हकु है जो होइ मरनि परवाणो ॥ सूरे सेई आगै आखीअहि दरगह पावहि साची माणो ॥ दरगह माणु पावहि पति सिउ जावहि आगै दूखु न लागै ॥ करि एकु धिआवहि तां फलु पावहि जितु सेविऐ भउ भागै ॥* 👉🏻जो मनुष्य जीते जी ही प्रभू की नजरों में कबूल हो के मरते हैं वे शूरवीर हैं उनका मरना भी सराहा जाता है। 👉🏻वे प्रभू की दरगाह में सम्मान पाते हैं, सम्मान से (यहाँ से) जाते हैं और आगे परलोक में उन्हें कोई दुख नहीं व्यप्तता। 👉🏻 वे लोग परमात्मा को व्यापक समझ के सिमरते हैं, उस प्रभू के दर से फल प्राप्त करते हैं जिसका सिमरन करने से हरेक किस्म का भय दूर हो जाता है। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 गुरु अमरदास जी महाराज दिखता हैं:- *पउड़ी ॥ जो जन लूझहि मनै सिउ से सूरे परधाना ॥ हरि सेती सदा मिलि रहे जिनी आपु पछाना ॥ गिआनीआ का इहु महतु है मन माहि समाना ॥ हरि जीउ का महलु पाइआ सचु लाइ धिआना ॥ जिन गुर परसादी मनु जीतिआ जगु तिनहि जिताना ॥८॥* 👉🏻जो मनुष्य अपने मन के साथ लड़ते हैं वे सूरमे इन्सान बनते हैं । वे माया के पीछे भटकने की जगह अंदर की ओर केन्द्रित रहते हैं। 👉🏻इस तरह सुरति जोड़ के उन्हें ईश्वर का घर मिल जाता है। 👉🏻 जिन्होंने गुरू की मेहर से अपने मन को जीता है उन्होंनें जगत जीत लिया है। 👉🏻बाबा महाहरनाम सिंह ,पंच प्यारे, मक्खन शाह आदि सिक्खों ने जब अपने गुरु महाराज की दी हुई कठिन परीक्षा को पास किया तभी वे गुरु प्यारे बने। भाई गुरदास जी अपनी वार में कहते हैं:- 👉🏻 कोई विरला ही इस अवस्था में ठहर पता है। 👉🏻 जितनी ऊंची अवस्था होगी परीक्षा भी उतनी कठिन होती है। 👉🏻 जब आध्यात्म की परीक्षा में पास होते हैं तो उतनी ही ऊंची अवस्था की प्राप्ति होती है। 👉🏻 जब एक अवस्था से दूसरी अवस्था में प्रवेश करते हैं तो सांसारिक विषय वस्तुएं बाधा के रूप में आती है तब यह महत्वपूर्ण है कि उसे समय भी हमारा मन स्थिर रहता है कि नहीं। 👉🏻 अगर उस समय भी अडोल रहेंगे तो आगे बढ़ जाएंगे। 👉🏻 ईश्वर की बंदगी हर समय करनी चाहिए चाहे वह परीक्षा का समय ही क्यों ना हो। 👉🏻 फिर एक ऐसी अवस्था की प्राप्ति होती है जो पहले की सभी अवस्थाओं से बहुत ऊंची होती है। 👉🏻क्या हो रहा है क्यों हो रहा है कैसे हो रहा है जितना अधिक दूर रहेंगे अपना अधिक आनंद में रहेंगे। 👉🏻 मंजिल को प्राप्त करना है तो कठिन समय भी आनंद से पार करना होगा। शुकराना वाहेगुरु जी🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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