Guru Nanak Blessings 🙌
June 19, 2025 at 07:47 AM
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*🌷धन श्री गुरू नानक देव जी॥🌷*
*सतिनामु श्री वाहिगुरू*
*साहिब श्री गुरू गोबिंद सिंघ जी द्वारा रचित*
*जापु साहिब अर्थ सहित (सटीक)*
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(भाग १)
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*ੴसतगुर प्रसादि ।।*
*स्री वाहिगुरू जी की फ़तह ॥*
*जापु ॥*
*स्री मुखवाक पातिसाही १० ॥*
*छपै छंद ॥ त्वप्रसादि ॥*
*चक्र चिहन अरु बरन जाति अरु पाति नहिन जिह ॥*
*रूप रंग अरु रेख भेख कोऊ कहि न सकति किह ॥*
*अचल मूरति अनभउ प्रकास अमितोजि कहिजै ॥*
*कोटि इंद्र इंद्राणि साहु साहाणि गणिजै ॥*
*त्रिभवण महीप सुर नर असुर नेति नेति बन त्रिण कहत ॥*
*त्व सरब नाम कथै कवन करम नाम बरणत सुमति ॥१॥*
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*जापु ॥*
(बाणी का नाम)
*स्री मुखवाक पातिसाही १० ॥*
दसवीं पातिशाही के श्री मुखवाक से उच्चारण की हुई बाणी
*छपै छंद ॥ त्वप्रसादि ॥*
छंद का नाम छपै । (प्रभू)आप की कृपा ।
*चक्र चिहन अरु बरन जाति अरु पाति नहिन जिह ॥*
जिस प्रभू का कोई चक्र चिन्ह (निशानी)और वर्ण जाति पाति नहीं है
*रूप रंग अरु रेख भेख कोऊ कहि न सकति किह ॥*
हे प्रभू आप के रूप रंग भेष को कोई रेखांकित नहीं कर सकता और ना ही कोई वर्णित कर(कह)सकता है ।
*अचल मूरति अनभउ प्रकास अमितोजि कहिजै ॥*
आप का स्वरूप(मूर्ति) अचल है (कभी कहीं जाने वाला नहीं )अनुभव किया जा सकता है लेकिन वर्णन नहीं किया जा सकता ।
*कोटि इंद्र इंद्राणि साहु साहाणि गणिजै ॥*
करोड़ों इंद्रों आदि शाहों के शाह आदि में आप की गिनती है मतलब आप करोड़ों में एक हैं ।
*त्रिभवण महीप सुर नर असुर नेति नेति बन त्रिण कहत ॥*
तीनों लोक (आकाश , पृथ्वी , पाताल) के आप पालनहार हैं, देवता , मनुष्य , दैत्य , वृक्ष , घास (तिनके) सभी इस बात को कहते हैं कि आप बेअंत हैं ।
*त्व सरब नाम कथै कवन करम नाम बरणत सुमति ॥१॥*
आप के सभी नामों का कथन कौन कर सकता है , आपने अवतार लेकर जो कार्य किए जैसे गोवर्धन पहाड़ को उठाया तो गिरधारी , मुरली बजाई तो मुरलीधर इत्यादि , उन्हीं नामों का वर्णन करते हैं वो भी जिसे आप सुमति (बुध्दि) दें ।।१।।
गुरू रूप साध संगत जी , गुरबाणी एक अथाह सागर है , जितनी गहराई में जाओ उतना और गहरा होता जाता है , कोई अंत नहीं पा सकता , गुरबाणी पढ़ने का लाभ तो मिलता ही है परन्तु समझकर पढ़ने से जो आनंद की प्राप्ति होती है वो बयान नहीं किया जा सकता ।
🙏 भूल चूक की क्षमा🙏
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